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जाजमऊ में 50 एमएलडी का एक और ट्रीटमेंट प्लांट

कानपुर, जागरण संवाददाता: गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में केंद्र सरकार की ओर से कवायद तेज हो ग

By Edited By: Published: Fri, 22 May 2015 06:27 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2015 06:27 PM (IST)
जाजमऊ में 50 एमएलडी का एक और ट्रीटमेंट प्लांट

कानपुर, जागरण संवाददाता: गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में केंद्र सरकार की ओर से कवायद तेज हो गई है। टेनरियों से चोरी छिपे गंगा में गिराए जा रहे स्लज से गंगा प्रदूषित हो रही हैं। इस प्रदूषण को रोकने के लिए ही जाजमऊ के वाजिदपुर स्थित कॉमन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास ही 50 एमएलडी का एक और ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाएगा। डीपीआर और ले-आउट प्लान बनाने को शासन ने जिलाधिकारी से 115 हेक्टेयर भूमि की व्यवस्था करने को कहा है।

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वाजिदपुर में 171 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित है। इसमें 162 एमएलडी सीवरेज और नौ एमएलडी टेनरी का पानी ट्रीट किया जाता है। जाजमऊ में स्थापित टेनरियों से करीब 50 एमएलडी पानी निकलता है जबकि ट्रीट सिर्फ नौ एमएलडी हो पा रहा है। शेष पानी सीवर में मिलकर गंगा में ही जाता है। तमाम टेनरियों में लगा प्राइमरी ट्रीटमेंट प्लांट भी नहीं चलता है। टेनरियों के पानी और सीवर की वजह से गंगा प्रदूषित हो रही हैं। इस समस्या के समाधान के लिए ही यहां 50 एमएलडी का प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया है। इसके सर्वे, ले-आउट प्लान और डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने की जिम्मेदारी सेंट्रल लेदर रिचर्स इंस्टीट्यूट (सीएलआरआई) को सौंपी गई है। इंस्टीट्यूट ने टेनरियों से निकलने वाले स्लज का सर्वे किया और अपनी रिपोर्ट सौंपी। साथ ही 115 हेक्टेयर में प्लांट की स्थापना का सुझाव दिया। अब कोशिश हो रही है कि वर्तमान में जो प्लांट स्थापित है उसी के पास ही नए प्लांट के लिए भूमि दी जाए।

आठ करोड़ से बनेगा डीपीआर

पचास एमएलडी के इस ट्रीटमेंट प्लांट के बनने से टेनरियों का पानी ट्रीट होने के बाद ही गंगा में जाएगा। चार माह में इसका डीपीआर सीएलआरआई को बनाना है। इंस्टीट्यूट चार माह में इसका डीपीआर तैयार करेगा। अब सिर्फ उसे भूमि के आवंटन का इंतजार है।

रोज गिरता 36 करोड़ लीटर सीवर

गंगा के प्रदूषण के लिए सिर्फ टेनरियां ही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि शहर के दो दर्जन नाले भी गंगा का आंचल मैला कर रहे हैं। इन नालों से करीब 36 करोड़ लीटर सीवर रोज गंगा में गिरता है। सबसे बड़ा नाला सीसामऊ का है। अकेले इस नाले से ही 14.5 करोड़ लीटर सीवर रोज गिरता है। अगर टेनरियों के पानी को ट्रीट करने की व्यवस्था हो भी जाती है और नालों की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो फिर गंगा प्रदूषित होती ही रहेंगी।

गंगा में गिर रहे नाले

एएनडी कॉलेज नाला, रानी घाट नाला, गुप्तार घाट नाला, टेफ्को नाला, परमट नाला, सरसैया घाट नाला, अवधपुरी नाला, चिड़ियाघर नाला, ज्यौरा नाला, भगवतदास घाट नाला, गोल्फ क्लब नाला, टपका नाला, सिद्धनाथ घाट नाला, बुढि़याघाट नाला, सरैया नाला, वाजिदपुर नाला।

मंदिरों की पूजन सामग्री भी मुसीबत

मंदिरों की पूजन सामग्री भी गंगा के लिए मुसीबत है। आनंदेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ घाट स्थित मंदिरों, भैरोघाट व अन्य घाटों के मंदिरों के फूल और अन्य पूजन सामग्रियां भी गंगा में डाल दी जाती हैं जो गंगा के लिए मुसीबत बन गई हैं। सामग्रियों की वजह से घाट भी गंदे हो गये हैं। घाटों की सफाई के लिए नगर निगम जुट गया है हालांकि घाट कब तक साफ रहेंगे यह तो वक्त ही बताएगा।


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