चिड़ियाघर के हरदिल अजीज 'छज्जू' की मौत
कानपुर, जागरण संवाददाता : चिड़ियाघर के सबसे रोचक जीव और दर्शकों के आकर्षण का केंद्र चिंपैंजी छज्जू अब
कानपुर, जागरण संवाददाता : चिड़ियाघर के सबसे रोचक जीव और दर्शकों के आकर्षण का केंद्र चिंपैंजी छज्जू अब इस दुनिया में नहीं रहा। अपनी शरारतों से दर्शकों के बीच चर्चा में रहने वाले छज्जू की सोमवार को हृदयाघात से मौत हो गई। चिड़ियाघर प्रशासन ने पोस्टमार्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार करा दिया।
छज्जू का जन्म कानपुर के ही चिड़ियाघर में 22 अक्टूबर 1985 को हुआ था। वह 28 वर्ष पांच माह 29 दिन का था। उसकी मां का नाम जुमा था और पिता का नाम छोटू। दोनों को जर्मनी से यहां लाया गया था। पिता छोटू की मौत 1988 में और मां जुमा की मौत वर्ष 2007 में हार्टअटैक से हुई थी। कीपर शिवनरायन ने छज्जू की देखभाल की। उसे खाना खिलाने से लेकर उसका पूरा ख्याल शिवनरायन रखते थे। छज्जू की मौत होने से शिवनरायन दुखी है। उन्होंने बताया कि 19 फरवरी को वह पेड़ से गिर गया था लेकिन इससे उसकी चंचलता में कोई कमी नहीं आई थी।
याद आता रहेगा छज्जू
प्राणि उद्यान दर्शकों के आकर्षण का केंद्र चिंपैजी छज्जू कभी सीटी मारता था तो कभी सलाम करता था। नाम लेने से ज्यादा परेशान हो जाता है तो पत्थर उठाकर भीड़ पर फेंकता था। वह एक मात्र ऐसा जानवर है जो दर्शकों को प्रतिक्रिया देता था। कुछ शरारती तत्व कई बार जलती बीड़ी या सिगरेट उसके बाड़े में फेंक देते तो वह उनकी ही स्टाइल में कश लगाने लगता। छज्जू ने एक दिन कीपर शिवनरायन का हाथ पकड़ लिया और अंदर खींचना शुरु कर दिया तो कीपर के हाथ में कई जगह से फ्रेक्चर हो गया। मां जुमा भी बेहद ताकतवर थी कुछ वर्ष पहले वह बब्बर शेर के बाड़े में गिर गई तो वह शिकार समझ कर उस पर लपका, बचाव में जुमा ने एक थप्पड़ मारा तो शेर भाग खड़ा हुआ था।
बनाई गई थी फिल्म
चिड़ियाघर में बनाई गई फिल्म में छज्जू का भी रोल था। जिसमें उसके आते ही परिचय कुछ ऐसा दिया जाता था कि 'रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं लेकिन नाम हमारा छज्जू है। पर्सनालिटी में तो हम सलमान खान से कम नहीं है लेकिन मां चाहती थी कि मैं क्रिकेटर बनूं, तबसे बैटिंग बॉलिंग शुरु कर दी'।
व्यस्त रखने के लिये था कमरा
कुछ समय पहले छज्जू चिड़चिड़ा सा हो गया था। भीड़ और शोरशराबे से वह काफी आक्रामक हो गया था। ऐसे में छज्जू के बाड़े में एक गुफानुमा कमरे का निर्माण किया गया। जिसमें कई पाइप बने थे। छज्जू को बाड़े में सुबह छोड़ने के पहले पाइपों में खाने पीने का सामान कीपर भर देता। इसके बाद जब मन करता तो पाइप से निकाल-निकाल कर खाता रहता। छज्जू अपनी 28 वर्ष की आयु पूरी कर चुका था। चिंपैजी की औसत आयु 30 वर्ष होती है।
नहीं हो पाया निकिता से मिलन
छज्जू का कुनबा बढ़ाने को चिड़ियाघर प्रशासन ने लखनऊ से मादा चिंपैजी 'निकिता' को लाने की कवायद चल रही थी लेकिन छज्जू की उम्र अधिक होने और निकिता के साथ रहने वाले दूसरे चिंपैंजी जेशन के अकेलेपन की वजह से निकिता को यहां नहीं लाया जा सका। तर्क दिया गया कि निकिता बचपन से जेशन के साथ रही। वह प्रजनन तो नहीं कर सकता लेकिन ऐसे जीवों को साथी का साथ जरूरी है।