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कुदरत से जख्म मिले, अफसरों से धोखा

संग्राम सिंह, कानपुर : पहले कुदरत ने जख्म दिए, फिर उन पर अफसरों ने नमक छिड़का। तबाह किसानों को योज

By Edited By: Published: Thu, 02 Apr 2015 01:12 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2015 01:12 AM (IST)
कुदरत से जख्म मिले, अफसरों से धोखा

संग्राम सिंह, कानपुर :

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पहले कुदरत ने जख्म दिए, फिर उन पर अफसरों ने नमक छिड़का। तबाह किसानों को योजनाओं के सब्जबाग दिखाए गए। वित्तीय वर्ष 2014-15 किसानों के लिए बड़ा बेरहम साबित हुआ। खरीफ की फसल को सूखा निगल गई, फिर रबी की फसल बारिश में तबाह हो गई। अफसरों ने भी कुछ नहीं किया, खरीफ की फसल बरबाद होने के बाद जब बारी राहत पैकेज की आई तो केंद्र सरकार की टीम ने स्थानीय प्रशासन को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। केंद्रीय टीम ने दो टूक कह दिया कि जब सूखा पड़ने पर विभागों ने कोई राहत कार्य ही नहीं किया तो पैकेज किस बात का दें। बाद में रबी की फसल पर बारिश की मार पड़ी, दोनों सीजन में दो लाख किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा। पूरी मेहनत पानी में मिल गई, बीमा कंपनियों ने भी उनका हर्जाना हजम कर लिया। यंत्र व बीज पर अनुदान भी चुनिंदा किसानों को ही दिया गया।

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::: फसल बीमा योजना :::

हालात : वित्तीय वर्ष 2014-15 में 6353 प्रभावित किसानों ने खरीफ फसल का बीमा कराया, इन्हें करीब 31 लाख रुपये क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए थी। इसी तरह बारिश से जिन 4000 किसानों ने रबी की फसलों का बीमा कराया, उनकी सारी फसल बारिश ने चौपट कर दी। दोनों सीजन के किसी भी किसान को फसल बीमा योजना का लाभ नहीं दिया गया।

पात्रता : बोवाई से पहले बीमा होगा, भुगतान तो फसल कटने पर मिलता है।

- फसल कटने के बाद बैंक व कृषि विभाग पड़ताल करती है।

- किसानों को नुकसान के हिसाब से क्षतिपूर्ति मिलेगी।

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::: कृषक दुर्घटना बीमा :::

सूरतेहाल : अकाल मौत पर जिला प्रशासन की ओर से चालू वित्तीय वर्ष में 181 लोगों को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराई। कुल मिलाकर सबको करीब नौ करोड़ रुपये वितरित किए हैं। यह वितरण लेखपाल व कानूनगो द्वारा सत्यापित तहसीलदार की रिपोर्ट पर होता है।

पात्रता : खातेदार व सहखातेदार किसानों को लाभ देने की योजना।

- आयु न्यूनतम 12 वर्ष व अधिकतम 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

- बीमा राशि अधिकतम पाच लाख रुपए होगी, प्रीमियम प्रदेश सरकार देगी।

स्वरूप : आग, बाढ़, वज्रपात, करंट लगने, साप काटने, नदी, तालाब, पोखर व कुएं में डूबने, मकान गिरने, वाहन दुर्घटना, डकैती, दंगा और मारपीट जैसे अप्राकृतिक कारण।

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::: यंत्र व बीज अनुदान :::

लघु व सीमांत किसानों को यंत्र व बीज पर अनुदान दिया जाता है। वर्ष 2014-15 में डेढ़ सौ किसानों को यंत्र जबकि करीब 24 हजार काश्तकारों को बीज पर अनुदान दिया गया। योजना का लाभ लेने को कृषि विभाग में पंजीकरण होना अनिवार्य है।

किसे कितना मिला अनुदान

यंत्र व बीज अनुदान किसान

गेहूं 1400 22000

रोटावेटर 35000 30

डीजल पंप 10000 40

जीरो ड्रिल 15000 25

बखारी 1000 60

दलहन 3500 1200

तिलहन 2300 650

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पुराने जख्म ही नहीं भरे

आसमानी तबाही से चोट खाए 39466 किसानों ने 2.14 करोड़ रुपये प्रीमियम जमा किया। केवल 26 सौ किसानों को महज 71 लाख रुपये बांट कर बाकी रकम हजम कर ली गई। चालू वित्तीय वर्ष में तो किसानों ने सूखे व बारिश की दोहरी मार झेली है, इसके बाद भी अभी तक बीमा कंपनी से एक भी फूटी कौड़ी नहीं मिली।

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वर्षवार कितना मिला फसल बीमा

वित्तीय वर्ष बीमा प्रीमियम भुगतान क्षति

2013-14 58.22 1.65 0.71 40

2014-15 15.57 0.49 00 70

(धनराशि करोड़ व क्षति प्रतिशत में)

क्या कहते हैं अधिकारी

जितने किसानों ने पंजीकरण कराया था, सभी को अनुदान देने का प्रयास किया गया है। जो किसान योजनाओं का लाभ लेने से रह गए, उन्हें राहत जल्द मिल जाएगी। राजस्व विभाग द्वारा आवंटित 10 करोड़ रुपये वितरित किए जा रहे हैं।- बीके सिंह, उपनिदेशक कृषि विभाग


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