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विद्यालयों का कमीशन, अभिभावकों की टेंशन

कानपुर, जागरण संवाददाता : लखनपुर निवासी दीपक कुमार का बेटा मोहित कक्षा दो में गया है। विद्यालय में उ

By Edited By: Published: Wed, 01 Apr 2015 10:22 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2015 10:22 PM (IST)
विद्यालयों का कमीशन, अभिभावकों की टेंशन

कानपुर, जागरण संवाददाता : लखनपुर निवासी दीपक कुमार का बेटा मोहित कक्षा दो में गया है। विद्यालय में उसकी किताबों का सेट ढाई हजार रुपए में मिला। उनके पड़ोसी महेंद्र कुमार का बेटा इसी क्लास में दूसरे विद्यालय में गया है। उसकी किताबों का सेट तीन हजार रुपए का था। दोनों ने मिलान किया तो कीमतों में अंतर से हैरान थे। कीमतों में अंतर की यह समस्या केवल दो अभिभावकों की नहीं बल्कि शहर के उन सभी अभिभावकों की है, जिनके लिए स्कूलों के मनमाने दामों पर बच्चों की पुस्तकें खरीदना मजबूरी है।

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शहर के स्कूलों में नया सत्र शुरू हो चुका है। नए सत्र में प्रवेश लेने वाले छात्रों के अभिभावकों के हाथों में स्कूल प्रबंधन ने कापी किताबों की लंबी-चौड़ी लिस्ट थमा दी है। कापी किताबों की लिस्ट में हजारों के कमीशन का खेल चल रहा है। शहर में करीब दो सौ स्कूल संचालित हैं। इनमें से हर स्कूल ने अपने कैटगिरी के अनुसार कापी किताबों की रेट लिस्ट तय की है। नर्सरी के बच्चे के लिए किताबों का सेट एक हजार से लेकर दो हजार रुपए तक का है जबकि कक्षा पांच से दसवीं तक यह सेट अभिभावकों को चार हजार से लेकर सात हजार तक का पड़ रहा है।

स्कूलों में कारोबार, बंद हो रहीं पुस्तकों की दुकानें :

कानपुर पुस्तक व्यापार मंडल पदाधिकारियों ने बताया शहर के स्कूलों में कापी किताबों की दुकानें खुलने से शहर में दुकानें बंद होती जा रही हैं। पिछले करीब तीन वर्षो में दो सौ से अधिक दुकानें बंद हो चुकी हैं। बाजार में जो कापियां दस रुपए की मिलती हैं, वह कापियां स्कूलों में 20 रुपए की हो जाती हैं। इन कापियों में स्कूल की जिल्द चढ़ी होती है। इसके अलावा जो पुस्तकें उस समय स्कूल के बुक स्टॉल पर उपलब्ध नहीं होती हैं उनके पैसे भी फीस में जोड़ दिए जाते हैं।

यूनीफॉर्म की दुकान पर भी पहुंच जाती रेट लिस्ट :

हर स्कूल की यूनीफॉर्म के रेट स्कूल प्रबंधन तय करता है। यूनीफार्म की रेट लिस्ट शहर के मुख्य बाजारों में स्थित उन दुकानों पर पहुंचा दी जाती है जहां पर इनकी खरीदारी करने के लिए अभिभावकों को भेजा जाता है। छोटे बच्चों की यूनीफार्म औसतन तीन सौ रुपए है जबकि बड़े बच्चों की यूनीफार्म एक हजार रुपए के करीब पड़ती है।

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'2005 के शासनादेश के अनुसार स्कूलों में कापी-किताबों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन सरकार अपने ही शासनादेश का पालन नहीं करा पा रही है।'-दिनेश बाबा, अध्यक्ष कानपुर पुस्तक व्यापार मंडल

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'सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिक स्कूलों के लिए जो मानक तय किए हैं उसका पालन नहीं किया जा रहा है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि इन मानकों का पालन कड़ाई से कराए।'-सतेंद्र मिश्रा, महासचिव अभिभावक संघ


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