नियमितीकरण में समस्या बने अवैध कब्जेदार
कानपुर, जागरण संवाददाता: श्रमिक कालोनियों के नियमितीकरण, काबिज लोगों से किराया लेने के मामले में अवै
कानपुर, जागरण संवाददाता: श्रमिक कालोनियों के नियमितीकरण, काबिज लोगों से किराया लेने के मामले में अवैध कब्जेदार सबसे बड़ी समस्या बन गए हैं। काबिज लोग तो यही चाहते हैं कि विभाग उनसे किराया वसूले और उसी आधार पर वह वैध किरायेदार बनकर स्वामित्व के लिए लड़ें जबकि विभाग बीते चार साल से किराया न लेकर शासन की नीति बनने का इंतजार कर रहा है।
सूबे के 16 जिलों में 30 हजार से ज्यादा श्रमिक कालोनियां हैं। इनमें से 18,015 कालोनियां महानगर के आधा दर्जन मोहल्लों में फैली हैं। दो माह पहले शहर आए श्रम मंत्री शाहिद मंजूर ने केंद्र व राज्य की साझा कमेटी बना कर इस समस्या के निस्तारण का दावा किया था किंतु अभी तक इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है। श्रमिक कालोनियों के स्वामित्व का मामला कई विधायक सदन में भी उठा चुके हैं और हर बार मंत्री की तरफ से जवाब के रूप में यही आश्वासन मिलता है कि जल्द ही इसका निस्तारण कर लिया जाएगा, इसके लिए नीति तय की जा रही है। आवासों के मालिकाना हक के मामले में केंद्र सरकार बरसों पहले सभी राज्यों को निर्देश दे चुकी है कि वह अपने यहा धन लेकर या निशुल्क स्वामित्व देने की नीति तय करें। इस आधार पर कुछ लोग उच्च न्यायालय गए तो 6 दिसंबर 1995 को प्रदेश सरकार ने शासनादेश जारी कर कालोनी खरीदने के लिए रहने वालों को आमंत्रित किया किंतु तब लोग आगे नहीं आए। इस पर विभाग ने कालोनियों का मेंटीनेंस बंद कर दिया। मूल आवंटी की मृत्यु अथवा अवैध कब्जेदारों को बेदखली की नोटिसें भी दी गयी हैं जिनसे रहने वालों में खलबली मची है।
तीन साल में 12 करोड़ की चपत
किराया न जमा करने से श्रम विभाग को तीन साल में अनुमानित 12 करोड़ का झटका लग चुका है। कालोनियों में रहने वाले भी भुगतान को लेकर परेशान हैं। वह विभागीय अधिकारियों से संपर्क करते हैं तो जल्द ही नीति आने की बात कह कर टाल देते हैं। रहने वाले जब किराया न लेने का कारण लिखित रूप से देने को कहते हैं तो वह ऐसा करने से मना कर देते हैं।
कालोनियों पर एक नजर
- महानगर समेत प्रदेश के 16 जिलों में 30,643 आवास बनाए गए।
- महानगर में 22 स्थानों पर कुल 18,015 आवास बने।
- महानगर में वर्ष 1953 से 1974 के बीच हुआ निर्माण।
- 1995 के बाद सिंगल रूम आवास का मासिक किराया 125 व डबल रूम का 235 रुपए कर दिया गया था।
शहर में कहा श्रमिक कालोनी
जाजमऊ, चकेरी, बाबूपुरवा, किदवई नगर साइट नंबर एक व दो, जूही, गोविंद नगर, शास्त्री नगर, विष्णुपुरी, बेनाझाबर, आरडी हाता कर्नलगंज, एफएम कालोनी सिविल लाइंस आदि।
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श्रमिक कालोनियों के वैध आवंटी मुश्किल से 10 फीसद ही है जिनसे नियमित किराया लिया जा रहा है। जो अवैध कब्जेदार हैं उन्हीं से किराया लेना बंद किया गया है। अवैध कब्जेदारों से खाली कराने, किराया बढ़ाने और स्वामित्व देने तथा पेनाल्टी लगाने पर नीति बनाई जा रही है। नीति बनने के बाद उसका क्रियान्वयन होगा।
- प्रदीप श्रीवास्तव, अपर श्रमायुक्त (भवन प्रभारी)।