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बिना प्राचार्य के कालेजों की छिन जाएगी संबद्धता!

कानपुर, जागरण संवाददाता : छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से संबद्ध उन कॉलेजों को अगले वर्ष संब

By Edited By: Published: Tue, 25 Nov 2014 01:14 AM (IST)Updated: Tue, 25 Nov 2014 01:14 AM (IST)
बिना प्राचार्य के कालेजों की छिन जाएगी संबद्धता!

कानपुर, जागरण संवाददाता : छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से संबद्ध उन कॉलेजों को अगले वर्ष संबद्धता प्राप्त करने में दिक्कतें आ सकती हैं जिनमें प्राचार्य नहीं हैं। प्राचार्य न होने की सूरत में ऐसे कॉलेजों को शासन ने एक साल का विस्तार दिया था। लेकिन 2015 के बाद उनकी संबद्धता उसी सूरत में जारी रहेगी जब वह प्राचार्य की नियुक्ति करके विश्वविद्यालय को उसका ब्योरा देंगे। इस साल उन्हें संबद्धता देने का अधिकार शासन के बजाय विश्वविद्यालय के पास होगा।

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सत्र 2015 के लिए आवेदन करने वाले कॉलेजों को इस बार विश्वविद्यालय की हाई पावर कमेटी संबद्धता देगी। इन कॉलेजों को संबद्धता देने के लिए कमेटी किस तरह से काम करेगी इसे लेकर जल्द ही उसकी पहली बैठक होने की संभावना है। इस बैठक में उन कॉलेजों की संबद्धता पर भी विचार किया जाएगा जिनमें प्राचार्य नहीं हैं। सत्र 2015 में संबद्धता प्राप्त करने के लिए ऐसे करीब 50 कॉलेज कतार में खड़े हुए हैं। विश्वविद्यालय के सह कुलसचिव विनय कुमार ने बताया कि अगले सत्र में संबद्धता बरकरार रखने के लिए ऐसे कॉलेजों को प्राचार्य नियुक्त करने होंगे।

प्राचार्य का अनुभव बढ़ना बना सिरदर्द : यूजीसी की ओर से प्राचार्यो की शैक्षिक योग्यता बढ़ाना कॉलेजों के लिए सिरदर्द बन गया है। आयोग ने महाविद्यालयों में नियुक्ति की योग्यता का अनुभव एसोसिएट प्रोफेसर के पद रहते हुए 15 वर्ष कर दिया है। जबकि पिछले साल तक 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले एसोसिएट प्रोफेसर को प्राचार्य बनाया जा सकता था। विश्वविद्यालय से संबद्ध आठ सौ महाविद्यालयों में ज्यादातर पहले ही प्राचार्य व शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।

मंत्री व यूजीसी चेयरमैन से लगाएंगे गुहार : उत्तर प्रदेश महाविद्यालय संघ के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बताया कि कॉलेज प्रबंधक जल्द ही मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी व यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर वेद प्रकाश से मिलकर वह योग्यता कम करने का निवेदन करेंगे। क्योंकि प्राचार्य की कमी प्रदेश के ज्यादातर महाविद्यालयों की समस्या बन चुकी है।


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