मां को बचाने के लिए बच्चे की जान ले लूंगी : उमा भारती
कानपुर, जागरण संवाददाता: कई बार प्रसव के दौरान स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर सवाल करते हैं मां को बचाऊं या
कानपुर, जागरण संवाददाता: कई बार प्रसव के दौरान स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर सवाल करते हैं मां को बचाऊं या बच्चे को। यही स्थिति गंगा के प्रदूषण को लेकर है। मैं गंगा मां को बचाने के लिए बच्चों (टेनरी) की जान ले लूंगी। यह बात केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सफाई मंत्री उमा भारती ने कही। वह गंगा नदी में गिर रहे नालों का निरीक्षण करने के लिए शुक्रवार को शहर आई थी। उन्होंने जलनिगम, प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के साथ निरीक्षण कर गंगा की दुर्दशा देखी।
लखनऊ में रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम में भाग लेकर उमा भारती कानपुर आई। सवा 12 बजे वह सरसैया घाट पहुंचीं। यहां से उन्होंने मोटर बोट से गंगा नदी में गिर रहे नालों का निरीक्षण किया। उन्होंने सीसामऊ नाला, रानीघाट नाला, परमट नाला, भगवत दास घाट नाले को देखा। उनके साथ गंगा प्रदूषण, एक्शन प्लान, जल निगम विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। निरीक्षण के बाद उमा भारती ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि पूर्व में भी कई बार बोट से निरीक्षण कर चुकी हूं, लेकिन जो स्थिति पहले थी वही आज भी बरकरार है, लेकिन पहले के निरीक्षण में सत्ता में नहीं थे, आज हमारे पास मंत्रालय है इसलिये काम कठिन नहीं है, शपथ लेने के बाद गंगा सफाई के लिये जो 6 माह का वक्त मांगा था, अभी उसे पूरा होने में 45 दिन शेष हैं, गंगा की अशुद्धियों और उसकी सफाई के लिये विशेषज्ञों से राय ली जा रही है। अब तक की गई पड़ताल में निकला है कि ऋषिकेश से लेकर बंगाल तक गंगा और उसकी सहायक नदियों में 140 बड़े नाले गिर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अविरल से पहले निर्मल गंगा का लक्ष्य लिया गया है, इस पर शुक्रवार को मंत्रालय की टीम देश के ऐसे ही 25 नालों का निरीक्षण कर रही है। जल्द ही इन्हें बंद कराने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गंगा की सफाई को बड़ी चुनौती मान रहे हैं इसीलिए गंगा सफाई मंत्रालय का गठन किया है। वह न्यूयार्क में भी गंगा प्रदूषण पर चिंता जता चुके हैं। छोटे और मध्यम निर्णय के लिये 6 माह और बड़े निर्णय जिससे गंगा सदैव अविरल और निर्मल बहती रहे, इसमें 10 साल लगेंगे। शुक्रवार को अलग अलग शहरों में हुए निरीक्षण की रिपोर्ट 15 दिन के भीतर अधिकारियों को देनी है। उसी आधार पर गंगा किनारे के उद्योगों का भविष्य तय होगा। इसके बाद उमा भारती झांसी के लिए रवाना हो गई।