'चबा' गए पान का अनुदान
संग्राम सिंह, कानपुर : नाम : अब्दुल गफ्तार, गांव : रौतापुर खुर्द। योजना : पान प्रोत्साहन, अनुदान म
संग्राम सिंह, कानपुर :
नाम : अब्दुल गफ्तार, गांव : रौतापुर खुर्द। योजना : पान प्रोत्साहन, अनुदान मिला : 75680 रुपये। धन आवंटन के वक्त वर्ष 2013-14 में उम्मीद जगी कि यह पान की खेती में नई इबारत लिखेंगे मगर सारी रकम डकार गये। खेती में कोई पैसा नहीं लगाया। दो दिन पहले उद्यान विभाग ने रिकवरी का आदेश जारी कर दिया।
सही कहें तो अब्दुल महज बानगी भर हैं, बीते चार सालों में विभाग ने आधा दर्जन किसानों की सूची बनाई है जिन्होंने अनुदान तो लिया मगर वे पान की तरह चबा गये,अब इन पर कार्रवाई की जा रही। विभाग अपने मापदंड पर खरा उतरने पर किसानों को धनराशि जारी तो कर देता है। खाते में धन जारी होने के बाद ज्यादातर किसान खेती धन खर्च करने के बजाय योजना की रकम अपने निजी कार्य में खर्च कर रहे, इसके कारण जिले में पान की खेती को शिखर पर ले जाने की प्रदेश सरकार की मंशा दम तोड़ गई। जिला उद्यान अधिकारी डा. बलदेव प्रसाद कहते हैं कि सूची बनाई जा रही है, जिम्मेदारों से वसूली की जाएगी।
योजना का स्वरूप
- किसान के पास 1500 वर्ग मीटर खेत होना जरूरी।
- कुल लागत 151360 रुपये का 50 फीसद 75680 रुपये मिलता है अनुदान।
- लाभार्थी का चयन डीएम की अगुवाई में लाटरी पद्धति से होगा।
- जनपद में ज्यादातर खेती चौबेपुर व भीतरगांव में होती है।
- पान की बेल हर प्रकार की भूमि में उगाई जाती है।
100 ग्राम पत्ती में पोषक तत्व
तत्व फीसद ग्रा.
पानी 83.1
प्रोटीन 03.1
रेशा 02.3
कार्बोहाइड्रेट 06.0
खनिज तत्व 02.3
फास्फोरस 0.4
कैल्शियम 0.3
आयरन 02.5
2013-14 में आय व्यय
बरेजा निर्माण : 4.50 लाख
लाभान्वित किसान : 07
आवेदन आए : 47
प्रशिक्षण में : 50 हजार
विज्ञापन : 11 हजार रुपये
कुल खर्च हुए : 5.15 लाख
बीमारियों के लिए 'रामबाण'
मस्तिष्क पीड़ा, आवेश रोग, रतौंधी, स्तनशोध, बच्चों की सर्दी, प्रतिश्याय, मधुर आवाज, डिप्थीरिया, सूखी खांसी, सर्दी व कफ, पाचन, प्यास, कब्ज, निर्बलता, ज्वर, ग्रंथि सूजन व घाव आदि में लाभदायक।
विशेष तरह की खाद का प्रयोग
जैविक खाद के रूप में नीम, सरसों, तिल आदि की खली का प्रयोग करते हैं। साथ ही जौ, दूध, दही व मट्ठा का इस्तेमाल भी किया जाता है। अलावा इसके नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश की भी आवश्यकता होती है।