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गंगा विश्वविद्यालय की 'सरकारी धारा'

By Edited By: Published: Wed, 17 Sep 2014 09:55 PM (IST)Updated: Wed, 17 Sep 2014 09:55 PM (IST)
गंगा विश्वविद्यालय की 'सरकारी धारा'

राहुल शुक्ल, कानपुर

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गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए 19-20 जुलाई को काशी कुंभ गंगा संसद से निकली गंगा विश्वविद्यालय की धारा प्रदेश में सरकारी स्तर पर तेजी से बह चली है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सहमति के बाद अब संबंधित विभागों के प्रमुख सचिवों से रिपोर्ट मांगी गई है। उद्देश्य यह है कि गंगा विश्वविद्यालय में आस्था व श्रद्धा से जोड़ने के साथ-साथ युवा पीढ़ी को पर्यावरणीय ज्ञान की शिक्षा देकर गंगा नदी का वही पुराना गौरव लौटाने की कवायद की जा सके, जिसमें उसके किनारे सभ्यता और संस्कृति बसा करती थी।

गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रदेश से लेकर केंद्र तक मंथन चल रहा है। अब तक के प्रयासों से यह स्पष्ट हो गया है कि सिर्फ योजनाएं बनाने और रुपये खर्चने से गंगा अविरल और निर्मल नहीं होंगी। इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। इसी मुद्दे पर काशी कुंभ संसद के आयोजक जलपुरुष राजेंद्र सिंह मंथन से निकले गंगा विश्वविद्यालय को साकार रूप में लाने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पांच अगस्त को पत्र सौंपा था। इस पर मुख्यमंत्री की सहमति मिल जाने के बाद अब शासन स्तर पर कागजी कार्यवाही शुरू हो गई है।

मुख्यमंत्री के विशेष सचिव ने नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव को कांशी कुंभ संसद में सामने आई समस्याओं के निराकरण व गंगा विश्वविद्यालय की स्थापना के संबंध में पत्र भेजा है। इसके बाद उप सचिव हरेन्द्र सिंह विष्ट ने उच्च शिक्षा, सिंचाई विभाग, पर्यावरण विभाग, राजस्व विभाग समेत इससे जुड़े विभागों के प्रमुख सचिव को पत्र भेजकर जानकारी मांगी है। इसी कड़ी में स्थानीय निकाय निदेशक पीएके सिंह ने कानपुर, इलाहाबाद व वाराणसी के नगर आयुक्तों को पत्र भेजकर काशी कुंभ संसद में आयी समस्याओं के निराकरण पर कार्रंवाई कर शासन को अवगत कराने को कहा है।

..... इनसेट ......

दिए गए मांग पत्र के प्रमुख बिंदु

0 प्रदेश सरकार गंगा के प्रति सम्मान व व्यवहार में अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए कायदे-कानून, कार्य व ढांचागत व्यवस्था को अंतिम रूप देने से पहले इसका प्रारूप तैयार करे व उस पर जनसहमति ले।

0 गंगा के बाढ़ क्षेत्र को रिजर्व एरिया घोषित कर संरक्षित किया जाए।

0 नदी भूमि का भू उपयोग किसी अन्य कार्य के लिए नहीं किया जाए।

0 गंगा के किनारे कोई उद्योग न लगाया जाए।

0 गंगा के तट से दो सौ मीटर तक प्लास्टिक प्रतिबंधित एरिया को कड़ाई से लागू कराया जाए।

0 गंगा विशेष अपील कोर्ट की स्थापना की जाए।


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