200 भूखंडों का बदला भू उपयोग
कानपुर, जागरण संवाददाता : भू उपयोग परिवर्तन के मामले नए नहीं हैं। सदर तहसील में जो भी एसडीएम रहे उन्होंने इसे धंधा बना लिया। इससे लोगों ने आवासीय भूमि को कृषि योग्य घोषित कराकर उसकी रजिस्ट्री कराई और स्टांप बचा लिया। यह खेल सिर्फ एसडीएम रहते नेहा शर्मा और इंद्रपाल उत्तम ने ही नहीं किया बल्कि दस वर्षो में यहां जो भी एसडीएम रहे उन्होंने सरकार को खूब चूना लगाया। इन दस वर्षो में करीब दो सौ भूखंडों का भू उपयोग बदला गया। जांच सिर्फ 2012 से अब तक की हो रही है ऐसे में पूर्व में भू उपयोग बदलने वाले एसडीएम जांच के फंदे से बाहर हैं।
जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा 143 के तहत किसी कृषि योग्य भूमि का भू उपयोग परिवर्तन कर आवासीय करने में राजस्व विभाग को लाभ होता है क्योंकि जब भूमि की बिक्री होगी तो उस पर आवासीय स्टांप शुल्क लगेगा। जब इसी आवासीय भूमि का भूउपयोग परिवर्तन धारा 144 के तहत कर उसे कृषि योग्य बनाया जाता है तो इससे राजस्व विभाग को नुकसान होता है क्योंकि यह भूमि जब बिकेगी तो फिर इस पर स्टांप शुल्क कम लगेगा। सदर तहसील में यही खेल जमकर हुआ। लोगों ने पहले कृषि योग्य भूखंडों की रजिस्ट्री कराई और फिर उसे आवासीय भूखंड में परिवर्तित करा लिया। जब इस भूखंड की बिक्री की बारी आई तो फिर कृषि योग्य करा लिया। इस खेल में दो वर्षो में राजस्व विभाग को दो करोड़ 63 लाख रुपये का नुकसान हुआ। यही वजह है कि लोकायुक्त ने मामले की जांच आर्थिक अपराध एवं अनुसंधान शाखा से कराने की संस्तुति की है। अब अगर पिछले दस वर्षो के मामलों की जांच की जाए तो बड़ा खेल सामने आएगा।
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कृषि योग्य भूमि को एक बार आवासीय बनाने के बाद फिर से कृषि योग्य करने की प्रक्रिया गलत है। ऐसे मामलों में रोक लगाने के लिए राजस्व परिषद को पत्र लिखूंगी। दो वर्षो में हुए भू उपयोग परिवर्तन में अनियमिता मिली तो प्रक्रिया को रद कर दोषियों पर कार्रवाई भी होगी।
- डॉ. रोशन जैकब, डीएम