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कमाई में टॉप, कामकाज में फ्लाप

By Edited By: Published: Wed, 20 Aug 2014 07:33 PM (IST)Updated: Wed, 20 Aug 2014 07:33 PM (IST)
कमाई में टॉप, कामकाज में फ्लाप

डॉ. सुरेश अवस्थी, कानपुर:

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कहते हैं कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। यह फार्मूला छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के साथ भी लागू होता है, यह बात और है कि वह कभी नहीं चाहेगा कि दूसरा पहलू उसके हिस्से में आए और उसे शर्मसार होना पड़े। लेकिन हर किसी की हर चाहत पूरी कहां होती है। यही इस विश्वविद्यालय के साथ भी हुआ। कमाई करने के मामले में यह प्रदेश के दूसरे विश्वविद्यालयों को तो मात दे रहा है लेकिन कामकाज के मामले में न चाहते हुए भी शर्मिदगी का दाग भी उसके माथे पर है।

स्ववित्तपोषी पाठ्यक्रम शुरू करके तत्कालीन कुलपति पद्मश्री एसएस कटियार ने विश्वविद्यालय के लिए आय के बड़े स्रोत खोले। इससे बिना किसी सरकारी सहयोग केविश्वविद्यालय के कई भवन बड़े तकनीकी संस्थानों को भी मात देने वाले तैयार हो गए। लेकिन अकादमिक गुणवत्ता का ग्राफ नहीं बढ़ा। शोध ठप हैं। कई कोर्स में सीटें खाली पड़ी हैं। नकल माफिया बेलगाम हैं। मूल्यांकन सवालों के घेरे में है। एक पखवारे से अधिक समय से चल रही कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन असहाय है।

सालों से पीएचडी नहीं

संयुक्त प्रवेश परीक्षा लागू होने से 2009 से ंिवश्वविद्यालय में पीएचडी में पंजीकरण बंद है। पहले के 400 शोधार्थी शोध प्रबंध के मूल्यांकन व परीक्षा की प्रतीक्षा में हैं।

परीक्षाफल लटका

पिछले सत्र के लगभग सवा लाख व्यक्तिगत अभ्यर्थियों की परीक्षा मई-जून में हुई थी परंतु अभी तक परिणाम नहीं आया। संस्थागत का परीक्षाफल तो आया लेकिन तमाम को अंकपत्र नहीं मिले। छात्रों को तीन साल से डिग्री नहीं भेजी गई।

बे-लाइन हुई कापियां

उत्तर पुस्तिकाओं को ऑनलाइन करने का काम दो साल चला और 2014 सत्र में ठप हो गया। छात्रों को इसकी जानकारी भी नहीं दी गई, वे संशय में हैं। मूल्यांकन को लेकर ढेरों शिकायतें आ रही हैं।

बीएड परीक्षा अटकी

बीएड सहित कुछ अन्य कोर्स की परीक्षा लटकी है। 21 मई से प्रस्तावित परीक्षा टली तो नई तिथि का अभी पता नहीं है।

अटकी हैं नियुक्तियां

स्ववित्तपोषी कालेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। नियुक्ति के लिए पैनल नहीं बन सका। उधर सीनेट, पाठ्यक्रम संशोधन व प्लेसमेंट जैसे काम भी सुस्त पड़े हैं।

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विश्वविद्यालय एक नजर में

अनुदानित कालेज : 61

राजकीय कालेज : 23

बीएड कालेज : 141

निजी कालेज : 605

कुल कालेजों की संख्या : 830

कैंपस में विभाग : 15

कैंपस में कोर्स : 55

संस्थागत छात्र : 11 लाख

व्यक्तिगत छात्र : 1.25 लाख

जमा पूंजी : लगभग दो अरब

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'कर्मचारियों की हड़ताल से तमाम काम रुके हैं। शासन से वार्ता हो रही है। जल्द हल निकलने की उम्मीद है। स्थिति सामान्य होने पर काम तेजी से निबटाए जाएंगे।'

- सैय्यद वकार हुसैन, कुलसचिव सीएसजेएमयू।


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