पालने में दिखेगा तीन साल बाद का स्कूल
कानपुर, जागरण संवाददाता: सर्व शिक्षा अभियान की गाड़ी अब पुराने ढर्रे पर नहीं दौड़ेगी। अभी तक प्यास लगने पर कुआं खोदने वाली स्थिति रही है, लेकिन अब तय हो गया है कि प्यास तो लगेगी ही, इसलिए कुआं पहले से ही क्यों न खोद लिया जाए। अब इसी तर्ज पर चलते हुए तीन वर्ष की आयु में ही बच्चों को चिह्नित कर लिया जाएगा, भले ही वह छह वर्ष की उम्र में स्कूल जाएंगे। बाहरी जिलों व राज्यों से आने वाले बच्चों की अलग से सूची तैयार की जाएगी।
शिक्षा अधिकार के चलते सर्व शिक्षा अभियान में कुछ बड़े परिवर्तन किए गए हैं। अभियान के तहत 16 से 31 अगस्त तक हाउस होल्ड सर्वे होगा। अभी तक पढ़ाई के लिए 6 से 14 साल तक के बच्चों को चिन्हित करके उनका स्कूलों में नामांकन कराया जाता था परंतु अब स्कूल प्रबंध समितियों को आगामी तीन सत्रों के लिए पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधनों को रेखांकित करते हुए कार्य योजना बनानी होगी। इस कारण तीन, चार, पांच व छह साल वाले बच्चों को अलग अलग चिन्हित किया जाएगा। उनकी संख्या के आधार पर स्कूलों, यूनीफार्म, मिडडे मील व शिक्षकों की जरूरत तीन साल पहले ही तय हो जाएगी। राज्य सरकारों को उसको पूरा करने का प्रबंधन पहले से शुरू करना होगा।
सर्व शिक्षा की योजनाओं, एमडीएम, स्कूल चलो अभियान, पुस्तक वितरण, नवीन पंजीकरण आदि को लेकर बीएसए राजेंद्र प्रसाद व सर्व शिक्षा अभियान जिला समन्वयक ब्रजेश शर्मा की मौजूदगी में गुरुवार को बीएसए कार्यालय में सभी बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) की बैठक हुई। इसमें बताया गया कि पहले की तरह शिक्षक शिक्षिकाएं तो हाउस होल्ड सर्वे करेंगे ही, लेकिन इस बार प्रत्येक विकास खंड व संसाधन केंद्र में दो दो सक्रिय स्कूल प्रबंध समितियों के सदस्य भी होंगे। वे शिक्षकों का मार्गदर्शन भी करेंगे।
बाहरी बच्चों की अलग सूची
माइग्रेट होकर (दूसरे जिलों व राज्यों से) आये व गए परिवारों के बच्चों का चिन्हांकन अलग होगा। बाहर गए बच्चों की जानकारी संबंधित जिले के जिला अधिकारी व राज्य की सरकार को भेजी जाएगी ताकि वहां उनकी पढ़ाई का प्रबंध हो सके। इसके लिए कूड़ा बीनने वाले, ईंट भंट्टा में काम करने वाले तथा श्रमिक बच्चों पर खास ध्यान दिया जाएगा।
बढ़ा विकलांगता का दायरा
अभी तक दृष्टि बाधित, मूक बधिर, वाणीदोष, अस्थि विकलांग, मंदबुद्धि व बहु विकलांगता आदि को ही विकलांग श्रेणी में रख कर संबंधित बच्चों की अलग से पढ़ाई का प्रबंध किया जाता है। अब इनमें वास्तविक आयु के मुकाबले कम मानसिक आयु वाले, मस्तिष्क पक्षाघात के शिकार व आंशिक दृष्टि बाधित बच्चों को भी शामिल किया जाएगा।