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..तो न होतीं मानव रहित क्रासिंग दुर्घटनाएं

By Edited By: Published: Fri, 25 Jul 2014 06:58 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jul 2014 06:58 PM (IST)
..तो न होतीं मानव रहित क्रासिंग दुर्घटनाएं

कानपुर, जागरण संवाददाता: यदि रेलवे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में तैयार 'एलसी गेट वार्निग सिस्टम' को अपना ले तो मानव रहित क्रासिंग पर होने वाली दुघर्टनाएं रुक सकती हैं। आईआईटी इसके लिए विशेष डिवाइस रेलवे को सौंप चुका है फिर भी आगे का काम ठप है।

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देश भर में हजारों किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर सैकड़ों मानव रहित क्रासिंग हैं जहां हर साल सैकड़ों दुर्घटनाओं में जान माल का भारी नुकसान होता है। इस पर चिंतित रेलवे ने यह दुर्घटनाएं रोकने के लिए पहल की। आईआईटी से वार्ता के बाद उसे मानव रहित रेलवे क्रासिंग से ट्रेन गुजरने के पहले तेज हूटर बजाने वाली तकनीक 'एलसी गेट वार्निग सिस्टम' तैयार करने के लिए 30 लाख रुपये का प्रोजेक्ट सौंपा था। लगभग सवा साल लखनऊ व कानपुर रेल मार्ग पर स्थित कुसुंभी व सोनिक के बीच दही की चौकी के पास की मानव रहित रेलवे क्रासिंग (30 सी 2 ई) पर तकनीक का परीक्षण चला। इस ट्रैक पर प्रतिदिन 90 ट्रेनें गुजरती हैं। शोध से जुड़े आईआईटी के प्रिंसपल साफ्टवेयर इंजीनियर बीएम शुक्ला बताते हैं कि परीक्षण में तकनीक पूरी तरह खरी उतरी। उसे आरडीएसओ के माध्यम से रेलवे को सौंपा जा चुका है। तकनीक पर तवज्जो दी गयी होती तो इतने मासूमों की जान बच सकती थी।

ऐसे काम करती है तकनीक

ट्रेन के क्रासिंग के दो किलोमीटर दूरी पर आने से ही संकेत मिलने लगेंगे। क्रासिंग से 700 से 1000 मीटर पहले ट्रेन पहुंचने पर तेज हूटर बजना शुरू हो जायेगा। क्रासिंग पार कर ट्रेन केसौ मीटर जाने पर हूटर स्वयं बंद हो जायेगा। ट्रेन के 500 मीटर दूर चले जाने पर सिग्नल का रंग पीला हो जायेगा। दोहरी लाइन में दोनों ओर से ट्रेनों के आने पर भी ऐसा ही होगा।

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रेलवे बजट में भी संकेत

सिमरन तकनीक 'एलसी गेट वार्निग सिस्टम' ट्रेनों के लिए विशेष प्रभावी है। महत्वपूर्ण है रेलवे के बजट में पेज नंबर 18 पर रियल टाइम ट्रेन ट्रेकिंग सिस्टम लागू करने की जो घोषणा की गयी है, वह सिमरन तकनीक से ही संभव है। वैज्ञानिक कहते हैं कि सिमरन को तत्काल अपना लिया जाए तो कुछ माह के भीतर ही देश भर में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।

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दिसंबर 2011 में एटा के दरियागंज व पटियाली के बीच की क्रासिंग पर ट्रेन व बस की टक्कर सें 38 लोग मारे गये थे तब रेलवे ने तकनीक को तेजी से तैयार करने को कहा था। अब तकनीक सौंप दी गयी है तो वह खामोश है।

- बीएम शुक्ला, प्रिंसपल साफ्टवेयर इंजीनियर आईआईटी।


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