हमले को तैयार वायरस की फौज
कानपुर, जागरण संवाददाता : मौसम में उठापटक से संक्रामक रोग पांव पसारने लगे हैं। वहीं उमस भरी गर्मी जानलेवा साबित हो रही है। ऐसे में हैलट एवं उर्सला की ओपीडी मरीजों से पटी हुई है। हैलट के बाल रोग में दोपहर तक गंभीर स्थिति में नौ बच्चे भर्ती हुए। बाल रोग की इमरजेंसी में एक बेड पर तीन-तीन बच्चे भर्ती हैं। वहीं नर्सिग होम व निजी क्लीनिकों में भी बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज चल रहा है।
बारिश के बाद निकली चटख धूप एवं नमी की वजह से संक्रामक रोगों ने हमला बोल दिया है। सोमवार को हैलट की ओपीडी में 2568 मरीज आए, जबकि दो हजार से अधिक पुराने मरीज थे। मेडिसिन की ओपीडी में मरीज देख रहे डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि बारिश के बाद निकली कड़क धूप वायरस पनपने के लिए मुफीद है। इस वजह से वायरल के मरीज बढ़ गए हैं। सोमवार को ओपीडी में डायरिया, पेट में दर्द, उल्टी-दस्त, गैस्टोइंटाइटिस, बुखार और सांस के मरीज आए। उन्होंने बताया कि 250 मरीजों में 60 फीसद मरीज वायरल के थे। हैलट इमरजेंसी में डायरिया और पेट दर्द से बेहाल छह मरीज शाम तक भर्ती हुए। वहीं बाल रोग की ओपीडी में बच्चों का इलाज कर रहे डॉ. वीएन त्रिपाठी ने बताया कि डेढ़ सौ बच्चों में 20 फीसद बच्चे डायरिया और डिहाईड्रेशनसे पीड़ित थे। उन्हें उल्टी-दस्त, तेज बुखार और पेट फूलने के कई मरीज थे। दोपहर तक डॉ. कीर्ति मोहन के अंडर में नौ मरीज भर्ती हुए थे। हालत यह है कि बाल रोग अस्पताल की इमरजेंसी में एक बेड पर तीन-तीन बच्चे भर्ती हैं। गर्मी व उमस से बच्चों का बुरा हाल है। डाक्टरों का कहना है कि अब मलेरिया के केस भी आने लगे हैं। वहीं उर्सला की ओपीडी में सोमवार को 1900 मरीज आए। उनमें ज्यादातर डायरिया, वायरल इंफेक्शन, पेट दर्द, सांस की तकलीफ के थे।
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डायरिया के लक्षण : अगर बच्चे को लगातार पतले दस्त और उल्टी हो। पेशाब न हो। बच्चे का मुंह सूख रहा हो। बच्चा हांफे। पसली तेज चले। पेट फूलने लगे। झटके आएं तो लापरवाही न करें। फौरन बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
डिहाइड्रेशन के लक्षण : बच्चे को प्यास लगना, मुंह सूखना, तालू धसना, तेज सांस चलना, बेहोश होना।
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बच्चों का ऐसे करें बचाव
- बोतल से बच्चों को दूध न पिलाएं
- बच्चों को बासी भोजन न करने दें
- छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाएं
- घर में सफाई रखें, हाथ साफ रखें
- उबला पानी पिलाएं, ढक कर रखें
-आसपास जलभराव न होने दें
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ऐसे होती बीमारियां
वाटर वार्न डिजीज (पैथोजन) : तापमान में बदलाव होने पर एंट्रीक वायरस तेजी से ग्राउंड वाटर में पनपते हैं। इसके संक्रमण से हेपेटाइटिस ए और बी होता है। तालाब, स्वीमिंग पूल का पानी और ठंडा-गर्म की वजह से बैक्टीरिया ग्रोथ करते हैं जो डायरिया, उल्टी दस्त का कारण हैं। गर्मी से पीने के पानी, तलाब के संक्रमित पानी में प्रोटोजुआ ग्रो करते हैं, जो कभी कभी अचानक खाने पीने की चीजें आने से मौत का कारण बनते हैं।
वेक्टर वार्न डिजीज : जब तापमान 16-30 डिग्री के बीच होता है और आद्रता 60-80 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होती है। ऐसे में तेजी से वेक्टर वार्न डिजीज के वायरस पनपते हैं। इसकी वजह से मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया फैलता है।