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तड़पते मरीज, दवा प्रतिनिधियों से घिरे डाक्टर

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 07:58 PM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 07:58 PM (IST)
तड़पते मरीज, दवा प्रतिनिधियों से घिरे डाक्टर

कानपुर, जागरण संवाददाता : मुरारी लाल चेस्ट हास्पिटल में डॉक्टरों की अराजकता चरम पर हैं। यहां की ओपीडी में दवा कंपनियों के प्रतिनिधि डॉक्टरों को घेरे रहते हैं और मरीज घंटों बाहर इंतजार करते हैं। अस्पताल में सभी दवाएं होने के बावजूद डॉक्टर मरीजों को दवाएं बाहर से लिखते हैं। शिकायत करने पर मरीजों को भगाने की धमकी दी जाती है।

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मेडिकल कालेज के हैलट से संबद्ध मुरारीलाल चेस्ट हास्पिटल की ओपीडी समय से नहीं खुलती। डॉक्टर दो-दो घंटे विलंब से ओपीडी में आते हैं और दूर-दराज से आए मरीज भूखे प्यासे घंटों इंतजार करते रहते हैं। आते भी हैं तो दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों का ख्याल पहले रखते हैं। मंगलवार को अस्पताल के सीएमएस डा. आनंद कुमार की ओपीडी थी। वह भी दवा प्रतिनिधियों से घिरे थे। बीच-बीच में मरीज देख रहे थे। विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर चौधरी नहीं आए थे। पता चला कि वह नहीं आएंगे। दवा वितरण काउंटर पर बैठी फार्मासिस्ट मरीजों से अभद्रता कर रही थी। दवा खाने के बारे में पूछने पर मरीजों को दुत्कार मिल रही थी। अस्पताल की पहली मंजिल पर स्थित आईसीयू भगवान भरोसे है। यहां तीन मरीज भर्ती थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर सुजातगंज निवासी यासीन सोमवार को भर्ती हुए थे। उनके परिजनों ने बताया कि एक दिन में दस हजार से अधिक की दवाएं डॉक्टर बाहर से मंगा चुके हैं। दवाओं के नाम पर केवल ग्लूकोज यहां से मिल रहा है। निजी पैथालाजी के कर्मचारी सुबह-शाम एबीजी जांच के लिए रक्त निकाल कर तीन-तीन सौ रुपये लेते हैं। कुछ पूछने पर आईसीयू से बाहर निकालने की धमकी दी जाती है। देवगांव हमीरपुर निवासी राम रतन तीन दिन से भर्ती हैं। पुत्र कालीदीन ने बताया कि 12 हजार की दवाएं बाहर से ला चुके हैं। प्राइवेटकर्मी जांच के लिए रक्त निकालकर रुपये वसूलते हैं और कोई रसीद भी नहीं देते।

नाम की है पैथालाजी

चेस्ट अस्पताल की पैथालाजी केवल नाम की है। सभी जांचें बाहर से कराई जाती हैं। कर्मचारी निजी पैथालाजी से सांठगांठ कर मरीजों को जांच के लिए बाहर भेजते हैं। पैथालाजी टेक्नीशियन डेढ़ बजे ही काम बंद होने बात कह कर मरीजों को लौटा रहा था।

एमआर कर रहे पीएफटी टेस्ट

अस्पताल में लूपिन दवा कंपनी के प्रतिनिधि मरीजों का पीएफटी चेस्ट कर रहे थे। उन्हें पैथालाजी के बगल में एक कमरा दे दिया गया है। इनका बर्ताव भी मरीजों के साथ ठीक नहीं था। पूछने पर बताया कि विभागाध्यक्ष ने जांच के लिए कहा है।

सभी दवाएं होने का दावा

चीफ फार्मासिस्ट यूएन बाजपेई का दावा है कि अस्पताल में पर्याप्त दवाएं हैं। चार तरह की एंटीबायटिक एवं पेन किलर हैं। सांस के मरीजों के लिए इन्हेलर भी हैं। पिछले साल 55 लाख रुपये बजट मिला था। दवा खरीद का प्रस्ताव बनाकर सीएमएस को दिया है।


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