चिड़ियाघर बन गया सेंट्रल स्टेशन
कानपुर, जमीर सिद्दीकी
सेंट्रल स्टेशन पर आवारा जानवर, बंदरों की टोली, आवारा कुत्ते, मोटे मोटे चूहे, प्लेटफार्मो पर सैकड़ों कबूतर के घोसले, ऐसा लगता है जैसे स्टेशन नहीं बल्कि कोई चिड़ियाघर है।
मंगलवार को सेंट्रल स्टेशन पर जो नजारा देखने को मिला, उससे हर यात्री सहमा दिखाई दिया। तमाम यात्री परिवार के साथ आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे, तो कहीं आगे बैठे कुत्ते या बंदर को देख कर आगे जाने के बजाय पीछे भाग रहे थे।
सीन एक : सेंट्रल स्टेशन पर सिटी साइड की ओर प्रवेश द्वार पर ही आवारा गाय, सांड़ यात्रियों के बीच बैठे हैं और टिकटघर, पूछताछ काउंटर पर यात्री सहमे हैं, पता नहीं किधर से आकर कोई सांड़ सींग से मार दे।
सीन दो : टिकटघर से फुट ओवरब्रिज का जीना चढ़ते ही ब्रिज पर यात्री बैठे हैं और उन्हीं के बगल में एक खूंखार कुत्ता सो रहा था और दूसरा बैठा था।
सीन-तीन : प्लेटफार्म छह सात पर क्या मैं आपकी सहायता कर सकता हूं, बोर्ड तो लगा है लेकिन सहायता करने वाले बूथ का पता नहीं है। यहीं पर एक दर्जन कबूतर अपना आशियाना बनाए हैं।
सीन चार : प्लेटफार्म चार पांच पर आवारा जानवर यात्रियों के पास बैठे हैं। कुछ यात्री ंउन्हें केले का छिलका, पूड़ी आदि खाने को दे रहे हैं।
सीन पांच : प्लेटफार्म एक पर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस खड़ी है, इस वीआईपी प्लेटफार्म पर भी कुत्ता ट्रेन के आसपास आराम से घूम रहा है, इन्हें कोई हटाने वाला नहीं है।
सीन छह : जीआरपी थाना के सामने दर्जनों बंदर यात्रियों के पास पालीथिन में रखे खाने के सामान से छीनाझपटी कर रहे हैं।
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आज से तीन लंगूर के हवाले स्टेशन
जीआरपी ने बंदरों के आतंक से यात्रियों को निजात दिलाने के लिए तीन लंगूर मंगाए हैं। ये लंगूर बुधवार को स्टेशन आ जाएंगे। जीआरपी इंस्पेक्टर ने बताया कि आयेदिन हाथ में पालीथिन देखकर बंदर यात्रियों को काट लेते हैं।
पकड़ने को 500 रुपये प्रति बंदर
जीआरपी इंस्पेक्टर ने वन विभाग के अधिकारियों से निवेदन किया कि यात्रियों को बंदरों के आतंक से निजात दिला दें। जीआरपी इंस्पेक्टर ने बताया कि वन अधिकारियों ने कहा कि उनके पास बंदर पकड़ने वाली कोई टीम नहीं है, प्राइवेट टीम मंगानी पड़ेगी जो प्रति बंदर 500 रुपये लेगी।