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रुई के निर्यात से 300 करोड़ का झटका

By Edited By: Published: Mon, 23 Sep 2013 10:39 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2013 11:25 AM (IST)
रुई के निर्यात से 300 करोड़ का झटका

कानपुर, जागरण प्रतिनिधि : रुई का बढ़ा निर्यात सूबे के होजरी उद्योग पर खतरा बनकर मंडरा रहा है। थोड़े अंतराल में उत्पादन पांच सौ करोड़ से घटकर दो सौ करोड़ रुपये पर आ गया है। तीन सौ करोड़ के झटके से उद्यमियों की कमर टूट चुकी है। प्रदेश के आधा दर्जन शहरों में लघु इकाइयां कच्चे माल की कमी के कारण बंदी की कगार पर पहुंच गईं हैं। शहर में भी अधिकांश उद्यमियों ने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है।

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प्रदेश के कानपुर, सहारनपुर, वाराणसी, लखनऊ, गाजियाबाद, झांसी के साथ पूर्वाचल के कुछ जिलों में होजरी की छोटी-बड़ी इकाइयां स्थापित हैं। एक साल पहले तक हर महीने इनका टर्नओवर करीब 500 करोड़ रुपये था। लेकिन कपास उत्पादक राज्य गुजरात, पंजाब व महाराष्ट्र से रुई का निर्यात बढ़ने से ये अब 200 करोड़ हो गया है। कोलकाता, त्रिपुर के बाद अपना शहर देश में तीसरे नंबर पर होजरी के कारोबार में है लेकिन इसे धीरे-धीरे घुन लगने लगा है। इसमें रुई से निर्मित यार्न का 80 से 85 फीसद तक निर्यात काफी हद तक जिम्मेदार है। निर्यात में वृद्धि होने से कच्चे माल का संकट खड़ा हो गया है। इसके साथ ही केमिकल प्रोसेसिंग, रंगों व रसायनों के दाम दोगुने होने का भी असर पड़ा है। नतीजतन प्रदेश के करीब ढाई हजार और शहर के डेढ़ हजार लघु उद्योग गहरे संकट में फंस गए हैं। एक लाख से अधिक कर्मचारियों को भी बेरोजगारी का डर सता रहा है। इस व्यवसाय से जुड़े रिटेलर भी वस्तुओं की दरों में 20 फीसद तक इजाफा होने से बिक्री कम होने की समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं बिनाई, धुलाई, रंगाई, कटाई, सिलाई और पैकिंग फैक्ट्रियों पर भी फर्क पड़ रहा है।

इसलिए बढ़ा खतरा

निर्यात से सूत में आई काफी कमी, वाणिज्य कर में 5 फीसद टैक्स घातक, बिजली दरों में इजाफा और कटौती, कारीगरों को देना पड़ता बिन काम रुपया, कारीगरों की ठेकेदारी प्रथा में बढ़ोत्तरी, धीरे-धीरे रेडीमेड वस्तुओं का बढ़ा चलन।

'निर्यात नीति से उद्योग को झटका लगा है। 80 रुपये प्रति किलो का धागा अब 200 में बिक रहा है। होजरी उद्योग के कलस्टर की बात भी बेमानी साबित हो रही है। वहीं कृत्रिम धागा भी घाव पर नमक छिड़क रहा है।'

-मनीराम अग्रवाल, महामंत्री, उप्र होजरी उद्योग व्यापार मंडल

'महंगाई से खरीदारी क्षमता भी घट रही है। सरकार भी उद्योग पर बढ़ते संकट के प्रति उदासीन है। हर संभव उपाय किए जाने की जरूरत है वर्ना होजरी उद्योग की स्थिति और खराब हो जाएगी।'

- मनोज बंका, अध्यक्ष, नार्दन इंडिया होजरी मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन

'यार्न की दरें तीन महीने में 20 फीसद बढ़ गई हैं। केमिकल में 50 फीसद का इजाफा हुआ है। इसका सीधा फर्क कारोबार पर पड़ रहा। होजरी उद्यमी इस समय संकटों के दौर से गुजर रहे हैं। सरकार की बेहतर नीतियां न आई तो संकट और बढ़ेगा।'

-बलराम नरूला, हेड (टेक्सटाइल्स सेक्टर), आईआईए

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