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एक माह बाद भी नहीं सुधरे हालात

कन्नौज, जागरण संवाददाता : बड़े नोट बंद हुए एक महीना बीत चुका है, लेकिन अभी तक इत्र नगरी के हालात नहीं

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 07:05 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 07:05 PM (IST)
एक माह बाद भी नहीं सुधरे हालात

कन्नौज, जागरण संवाददाता : बड़े नोट बंद हुए एक महीना बीत चुका है, लेकिन अभी तक इत्र नगरी के हालात नहीं सुधरे हैं। बैंक शाखाओं में नकदी की किल्लत तो एटीएम भी बंद पड़े हैं। आज भी लोग शाखाएं खुलने से पहले कतारें लगा रहें हैं। कहीं दो तो कहीं चार हजार रुपये मिलने से गृहस्थी व कारोबार सिमट चुका है। गरीब, किसान, आम आदमी से लेकर कारोबारी तक कर्ज तले दब चुका हैं। तब से जिले का कारोबार 80 फीसद पर टिका हुआ है।

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बाजारों की रौनक गायब

नोट बंदी के बाद से बाजारों की रौनक गायब है। नगर के सरायमीरा, मकरंदनगर, सब्जी मंडी, बर्तन वाली गली, लाखन तिराहा, छिबरामऊ व तिर्वा की मुख्य बाजारों में सन्नाटा छाया हुआ है। रेडीमेड दुकान, स्वीट्स हाउस, रेस्टोरेंट, होटल, सराफा, सब्जी मंडी, फल व किराना दुकानदार ग्राहकों के इंतजार में बैठे रहते हैं। सुबह से शाम तक बिक्री नहीं होती है। दुकानदारों का कहना है कि फिलहाल हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं। लाखों रुपये की चपत लग चुकी है। करोबार करने के लिए बड़े नोट तो दूर की बात फुटकर की किल्लत बनी हुई है। लोगों ने सामानों में कटौती कर दी है। इससे 15 फीसद दुकानदारी बमुश्किल हो रही है।

25 फीसद तक पहुंचा इत्र कारोबार

इत्र कारोबारियों के मुताबिक नोट बंदी के बाद से कारोबार पूरी तरह से चौपट है। यहां के सैकड़ों कारखाने अभी भी बंद हैं। नकदी न होने के कारण माल तैयार नहीं हो पा रहा है। साथ ही आर्डर आने बंद हो गए हैं। कारोबारियों को देने के लिए बैंकों के पास धनराशि नहीं है तो मजदूरों का भुगतान लटका है। सैकड़ों मजदूर कामधाम छोड़कर घर बैठ चुके हैं। फिर भी 25 फीसद तक कारोबार चल रहा है। पहले जैसे हालात आने में करीब छह महीने लगेंगे।

किसानों के पास नकदी का संकट

संकट के समय ग्रामीण बैंकों ने किसानों को ठेंगा दिखा दिया। किसान रामप्रकाश, लालाराम, सैय्यद, अवधेश ने बताया कि बैंकों में इंतजाम अधूरे रहे। रुपये मिलने से आलू, टमाटर, गेहूं, राई व साक-सब्जी की सैकड़ों एकड़ फसल चौपट हो गई। पहले बारिश अब नोट बंदी की मार से किसान बर्बाद हो गया है। किसान पाई-पाई के लिए मोहताज है। बमुश्किल दो से चार हजार मिल रहे हैं। इतने में गुजर-बसर करें की खेती-बाड़ी। कोआपरेटिव बैंकों में नोट नहीं बदले गए। सरकारी गोदामों पर हजार व पांच सौ के नोट नहीं लिए गए। खाद व बीज के अभाव में फसल बर्बाद हो गई।

फायदे में रहा सरकारी महकमा

बड़े नोट बंद होने का सरकारी विभागों ने पूरा फायदा उठाया है। करोड़ों की बकायेदारी 15 दिन में चुकता हो गई। हजार व पांच सौ के नोट चलाने की मोहलत का बकायेदारों ने भी पूरा फायदा उठाया। लोगों ने बिजली बिल, जलकर, गृहकर समेत करोड़ों रुपये मंडी शुल्क पलभर में चुकता कर दिया है। बकाया वसूलने में बिजली विभाग सबसे आगे रहा है।


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