कुत्ता-बंदर काटने पर लगानी पड़ती लंबी दौड़
कन्नौज, जागरण संवाददाता : आवारा कुत्तों व बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीण इलाज के लिए लंबी दौड़ लगात
कन्नौज, जागरण संवाददाता : आवारा कुत्तों व बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीण इलाज के लिए लंबी दौड़ लगाते हैं। इनको जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) छोड़ बाकी कहीं पर इलाज की सुविधा नहीं मिलती है। निजी नर्सिंग होम जेब पर भारी पड़ते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने कुत्ता व बंदर काटने से होने वाले रोगों से बचाव के लिए प्रत्येक जिला अस्पताल, मेडिकल कालेज व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर वैक्सीन की व्यवस्था की है। वहीं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व ग्रामीणांचल में इलाज के लिए सरकारी इंतजाम नहीं हैं। ऐसे में अगर किसी ग्रामीण को कुत्ता, बंदर या अन्य जानवर काट लेता है तो चिकित्सकीय सुविधा मिलना काफी मुश्किल हो जाता है। वक्त पर इलाज न मिलने से कई बार आकस्मिक मौत भी होती है। चिकित्सकों के मुताबिक अगर कुत्ता या बंदर टांग के ऊपरी हिस्से में काटता है तो इलाज फौरन मिलना चाहिए वर्ना रेबीज के फैलने की संभावना ज्यादा रहती है। टांग के नीचे हिस्से में काटता है तो 15 दिन के अंदर मरीज को एंटी रेबीज इंजेक्शन व दवा लेनी चाहिए।
27 दिन में 515 आए मरीज
संयुक्त जिला अस्पताल में सितंबर में अब तक 515 मरीज आ चुके हैं। इसमें सबसे अधिक कुत्ता व बंदर काटने के हैं। अगर प्रतिदिन के आंकड़े देखें तो अस्पताल में 30 से 40 मरीज आते हैं। सभी को एंटी रेबीज इंजेक्शन देकर दवाइयां दी जाती है ताकि मरीज जल्द स्वस्थ हो सके। एंटी रेबीज इंजेक्शन चिकित्सक की सलाह पर ही लगाया जाता है।
इन जानवरों के काटने से खतरा
अक्सर लोग कुत्ता काटने पर रेबीज के फैलने का खतरा मानकर इलाज करवाते हैं। अन्य जानवरों के काटने या नाखून लगने पर अनदेखी कर देते हैं। ये आगे चलकर खतरे का कारण बन जाते हैं। चिकित्सकों के मुताबिक कुत्ता, बंदर, बिल्ली, सियार, नेवला व घोड़ा में रेबीज पाया जाता है। इनके काटने या नाखून लगने से खून निकलने पर मरीज को चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। ठीक ढंग से उपचार कराया जाना चाहिए। बच्चों में इस पर खास सतर्कता बरतने की जरूरत है।
कितने दिनों में लगवाएं इंजेक्शन
जानवरों के काटने या नाखून लगने पर चिकित्सक से परामर्श लेकर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाना चाहिए। यह इंजेक्शन एक के बाद तीसरे व सातवें दिन लगाया जाता है। मरीज को एक बार में सिर्फ 10 एमएल दवा दी जाती है। दोनों हाथों में ये इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इससे रेबीज होने का खतरा कम हो जाता है।
मरीजों ने बयां किया दर्द
जसौली निवासी नौशाद ने बताया कि चार वर्षीय पुत्र शिवा को 17 दिन पहले कुत्ते ने खेलते वक्त काट लिया था। दो बार इंजेक्शन लगवा चुके हैं। आखिरी इंजेक्शन लगवाने आए हैं। मानपुर निवासी बसंत राम ने बताया कि तीन वर्षीय बेटे श्याम सुंदर को बंदर ने काट लिया था। दवा लेने आए हैं। काफी देर से भटक रहे हैं तब जाकर सही जगह पहुंचे है। कटरी गंगपुर 17 वर्षीय निवासी नेकराम ने बताया कि घर जाते समय कुत्ते ने काट लिया था। दवा लेने अस्पताल आए हैं।
अफसर बोले
जिला अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों पर पर्याप्त संख्या में एआरवी की उपलब्धता है। अगर ग्रामीण इलाकों में इसकी व्यवस्था नहीं है तो अधीनस्थ अफसर से बात कर जगह-जगह विशेषज्ञ फार्मासिस्ट को रखकर इसका इंतजाम किया जाएगा। इससे लोगों को इलाज के लिए दूर तक न जाना पड़ेगा।
-उदयभान ¨सह, मुख्य चिकित्साधिकारी।