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अपने त्याग से भामाशाह बने वैश्य शिरोमणि

छिबरामऊ, संवाद सहयोगी : भामाशाह ने निष्ठापूर्वक महाराणा प्रताप के जीवन में अपनी भूमिका निभाई। उन्हों

By Edited By: Published: Wed, 29 Jun 2016 07:36 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2016 07:36 PM (IST)
अपने त्याग से भामाशाह बने वैश्य शिरोमणि

छिबरामऊ, संवाद सहयोगी : भामाशाह ने निष्ठापूर्वक महाराणा प्रताप के जीवन में अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने मातृभूमि की रक्षा में महाराणा प्रताप का सर्वस्व होम जाने पर अपनी संपूर्ण धन संपदा उनको अíपत कर दी। ऐसा करने वह वैश्य शिरोमणि बन गए।

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बुधवार को यह बात अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की ओर से मनाए गए भामाशाह के 469 वां जन्मदिवस पर जिलाध्यक्ष आनंद गुप्ता ने कही। वह एक निजी विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसा शायद ही कोई हुआ होगा। उन्होंने लक्ष्य को सर्वोपरि मानते हुए संपूर्ण संपदा अíपत कर मेवाड के स्वाभिमान की रक्षा की। पूर्व सभासद दिलीप गुप्ता ने कहा कि सन् 2000 में भारत सरकार की ओर से भामाशाह के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया गया। पूर्व सभासद करुणाशंकर ने कहा कि राजस्थान सरकर की ओर से उच्च शिक्षा क्षेत्र में स्थान पाने वाले विद्यार्थियों को दानवीर भामाशाह छात्रवृत्ति सम्मान प्रदान किया जाता है। इससे पहले सभी उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और पुष्प अíपत किए। इस दौरान कृष्णऔतार गुप्ता, प्रशंात गुप्ता, मयंक गुप्ता, सचिन गुप्ता, किशोर गुप्ता, सत्यम गर्ग, अवनीश गुप्ता, हिमालय गुप्ता, जय गोयल मौजूद रहे।


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