अब जमीन पर नहीं बेंच पर ग्रहण करेंगे शिक्षा
कन्नौज, जागरण संवाददाता : सरकारी व कान्वेंट स्कूल में पढ़ाई से लेकर सुविधाओं में काफी अंतर होने से ब
कन्नौज, जागरण संवाददाता : सरकारी व कान्वेंट स्कूल में पढ़ाई से लेकर सुविधाओं में काफी अंतर होने से बच्चे हीन भावना का शिकार हो जाते हैं। इसकी वजह से वह उस स्तर तक नहीं पहुंच पाते हैं, जहां वास्तव में उन्हें होना चाहिए। जिला प्रशासन ने इस असमानता को दूर करने के लिए एक नई पहल की है। कोल्ड स्टोरेज मालिकों की मदद से सबसे पहले परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के जमीन में बैठने की वर्षों पुरानी परंपरा को समाप्त किया जा रहा है। अब परिषदीय विद्यालयों में गरीब परिवार के बच्चे जमीन पर न बैठकर कान्वेंट स्कूल की तरह लोहे की बेंच पर शिक्षा ग्रहण करेंगे।
जिले में कुल 1653 परिषदीय विद्यालय हैं। इसमें 1200 प्राथमिक व 453 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। अभी तक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। वहीं निजी व महंगे कान्वेंट बच्चों को बेंच पर बैठने समेत तमाम सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। बच्चों में आपस में इस तरह की बात होने पर उसमें असमानता की भावना उत्पन्न होती है। इससे गरीब बच्चों की शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। जिला प्रशासन ने इस दूरी को कम करने के लिए नई पहल की। इसमें उद्योगपति व कोल्ड स्टोरेज मालिकों के साथ बैठक की। साथ ही उनसे परिषदीय विद्यालयों में निजी कोष से सहयोग करने की बात कही। इससे गरीब घर के छात्र भी मुख्यधारा से जुड़ सके। जिला प्रशासन की इस पहल पर उद्योगपति व कोल्ड मालिकों ने स्वीकृत दे दी। अब तक जिले में छह परिषदीय विद्यालयों में लोहे की बेंच डाली जा चुकी है। नवीन शिक्षा सत्र से छात्र-छात्राएं अब जमीन में नहीं बल्कि बेंच पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करेंगे।
इन विद्यालयों में की गई व्यवस्था
जिले के छह परिषदीय विद्यालयों में कोल्ड मालिकों के सहयोग से लोहे की बेंच डलवाई गई हैं। इसमें एक विद्यालय में 20 से 30 हजार रुपए का खर्चा आया है। प्राथमिक विद्यालय गोर्वधनी, प्राथमिक विद्यालय मुस्फदाबाद, उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर जसोदा, प्राथमिक विद्यालय कलकत्तापुर्वा, प्राथमिक विद्यालय गाजीपुर्वा व प्राथमिक विद्यालय भखरौली में लोहे की बेंच डाली गई गई। जुलाई से शुरू होने वाले सत्र से बच्चे जमीन पर न बैठकर लोहे की बेंच पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करेंगे।
अफसर बोले
जिलाधिकारी की पहल पर परिषदीय विद्यालयों में जमीन पर बैठने की प्रथा को निजी कोष से समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें जिले के उद्योगपति व कोल्ड मालिकों का सहयोग लिया गया है। अभी तक छह विद्यालयों में यह व्यवस्था लागू की गई है। आने वाले समय में कोल्ड मालिकों या समाजसेवियों की मदद ली जाएगी। इससे सरकारी स्कूल में बच्चों को सारी सुविधाएं मिल सके।
-अखंड प्रताप ¨सह, बेसिक शिक्षा अधिकारी।