नौकरी बचाने को ए-क्यूब को परीक्षा करनी पड़ेगी पास
कन्नौज, जागरण संवाददाता : जिले में कुपोषण को जड़ से समाप्त करने के लिए जिला प्रशासन ने नई योजना तैयार
कन्नौज, जागरण संवाददाता : जिले में कुपोषण को जड़ से समाप्त करने के लिए जिला प्रशासन ने नई योजना तैयार की है। इसमें एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्री (ए-क्यूब) की परीक्षा होगी। यह परीक्षा ए-क्यूब को हरहाल में पास करनी पड़ेगी। इसमें फेल होने पर उनकी नौकरी या संविदा पर खतरा मंडराया।
जिले में ए-क्यूब के 5514 कर्मचारी है। इसमें 1374 आशा, करीब 1000 एएनएम व 3140 आंगनबाड़ी व सहायिका तैनात हैं। जिला प्रशासन ने कुपोषण को रोकथाम के लिए कई प्रयास किए। इसमें आंगनबाड़ी केंद्रों को बेहतर ढंग से सुसज्जित किया गया। गर्भवती व नवजात शिशुओं के टीकाकरण, वजन नापने की मशीन आदि उपकरण उपलब्ध कराए गए। इसके बाद भी कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों की सही संख्या निकलकर सामने नहीं आ पा रही है। इस मामले को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। इसके तहत अब एक क्यूब की 25 अंकों की परीक्षा होगी। इसमें कुपोषण की रोकथाम, कितने समय पर टीकाकरण, बेहतर उपचार व उसके समाधान संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। एक प्रश्न दो अंकों का होगा। परीक्षा में पास होने पर उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा। वहीं फेल होने पर एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्री की नौकरी व संविदा पर खतरा होगा। उन्हे निलंबित व सेवा समाप्ति का नोटिस दिया जाएगा।
जिम्मेदारी का सही ढंग से करें निर्वहन
कानपुर के मुख्य प्रशिक्षक डा. अनिल कुमार ने जांच संबंधी सभी उपकरण होने के बाद कुपोषित बच्चों का गलत डाटा उपलब्ध कराया जा रहा है। यह गलत है। इसके लिए सबकी जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्री सही ढंग से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर लें, तो उनके क्षेत्र में कोई बच्चा कुपोषण का शिकार नहीं होगा। उन्होंने आगे चलकर सबकी जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए कुपोषित बच्चों का सही ढंग से नाम लेने के बाद सूची तैयार करें। इसमें सुधार लाने के लिए उन्हें पर्याप्त पोषाहार दें। ग्राम स्वच्छता एवं पोषण समिति की खुली बैठक कर लोगों में इसकी जागरूकता लाएं।
यह जांच बहुत जरूरी
आंगनबाड़ी केंद्र पर कुर्सी, मेज, परीक्षण मेज, बाल्टी, मग, तोलिया, साबुन, पर्दा आदि उपकरण बहुत जरूरी है। इससे केंद्र पर आने वाली गर्भवती व नवजात शिशुओं का सही ढंग से परीक्षण व वजन नापा जा सके। इसमें एनीमिया व हीमोग्लोबिन की जांच बहुत जरूरी है। इसकी कमी के चलते कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।
कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर आया सुधार
जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने कुपोषण की रोकथाम के लिए अनौगी ग्राम पंचायत के कई आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया था। इस दौरान उन्होंने कुपोषित बच्चों के घर जाकर उनके अभिभावकों को समझाया और बेहतर इलाज के लिए उन्हें एनआरसी में भर्ती कराया गया। इसके बाद कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों में काफी सुधार आया।
क्या बोले जवाबदेह
जनपद में कुपोषण को जड़ से समाप्त करने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए ए-क्यूब को पहले ब्लाक स्तर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। बाद में जिला स्तर पर उनकी परीक्षा ली जाएगी। इसमें फेल होने पर कार्रवाई होगी। - उदय राज यादव, मुख्य विकास अधिकारी।