पुलिस और प्रशासन के खिलाफ महिलाओं का आमरण अनशन
छिबरामऊ, संवाद सहयोगी: विभिन्न समस्याओं को लेकर महिलाओं ने आमरण अनशन शुरू कर अधिकारियों को चेताया। द
छिबरामऊ, संवाद सहयोगी: विभिन्न समस्याओं को लेकर महिलाओं ने आमरण अनशन शुरू कर अधिकारियों को चेताया। देर शाम अनशनस्थल पर पहुंचे एसडीएम ने जब निराकरण का आश्वासन दिया तो अनशन के लिए बैठी महिलाएं उठ गई।
सोमवार को तेराजाकेट व सरायसुंदर निवासी नीलम गुप्ता, आरती दुबे, मुन्नी दुबे, ऊषा दुबे, शैल कुमारी, पप्पी दुबे व ममता विभिन्न समस्याओं को लेकर तहसील परिसर के बाहर दरी बिछाकर बैठ गईं और आमरण अनशन शुरू कर दिया। अनशन पर बैठी महिलाएं पुलिस व प्रशासन को कोस रहीं थीं और आर-पार की लड़ाई लड़ने की बात कह रही थी। शाम तक अनशन चलता रहा। इसके बाद जानकारी होने पर उपजिलाधिकारी रामबहादुर वर्मा कर्मचारियों की टीम के साथ अनशन स्थल पर पहुंचे और महिलाओं से वार्ता की। जिस पर सभी ने अपनी-अपनी समस्याएं उपजिलाधिकारी के सामने रखीं। उपजिलाधिकारी ने महिलाओं को आश्वासन दिया कि जिस विभाग से संबंधित उनकी समस्याएं समस्याएं हैं, उन पर संबंधित अधिकारियों की मदद से गंभीरता के साथ कार्रवाई शुरू करयी जायेगी। इसके बाद महिलाओं ने अनशन समाप्त करने की घोषणा कर दी।
यह थी लंबित समस्याएं
प्रकरण एक- अनशन पर बैठी एक महिला ने गांव के ही एक व्यक्ति पर दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाते हुए राशन कोटा निरस्त कराए जाने का मामला उठाया।
प्रकरण दो - आरती देवी ने पैतृक दुकान पर कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिए जाने की शिकायत को लेकर यह अनशन शुरू किया था।
प्रकरण तीन- ऊषा दुबे व पप्पी ने पात्र होने के बाद भी सरकारी आवास व शौचालय न मिलने की वजह से परेशान होकर अनशन करने का निर्णय लिया था।
प्रकरण चार- सरायसुंदर निवासी मुन्नी देवी गांव में व्याप्त विभिन्न समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर अनशन पर बैठी थीं।
प्रकरण पांच - सरायसुदंर निवासी शैलकुमारी भी वृद्धावस्था पेंशन न मिलने की वजह से व्यथित होकर अनशन पर बैठी थीं।
प्रकरण छह- सरायसुदंर निवासी सरस्वती देवी भू-माफियाओं द्वारा जमीन पर कब्जा कर लिए जाने से परेशान होकर अनशन करने आईं थीं।