विचारों का नहीं, मोदी के डर का गठबन्धन
झाँसी : बुन्देलखण्ड की उजड़ी विरासत को सहेजने और समृद्ध संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाने क
झाँसी : बुन्देलखण्ड की उजड़ी विरासत को सहेजने और समृद्ध संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाने के लिए लम्बा संघर्ष करने वाले पूर्व राज्यमन्त्री हरगोविन्द कुशवाहा अब बुन्देलखण्ड की सूखी और उजाड़ धरा पर कमल का फूल खिलाने का संघर्ष कर रहे हैं। सादा लिबास, घुमक्कड़ी अन्दा़ज और बोली में अंग्रेजी के बीच खालिस बुन्देली का समावेश करने वाले पूर्व राज्यमन्त्री कभी प्रखर वक्ता के रूप में राष्ट्रीय राजनीति पर हमला कर रहे हैं, तो कभी वेदों की चौपाइयों का सहारा लेकर बुन्देलखण्ड की दुर्दशा बता रहे हैं। बुन्देली कहावतें भी उनके भाषण का हिस्सा है, जिससे ग्रामीण मतदाता सीधा जुड़ रहा है। वह मानते हैं कि सपा, बसपा द्वारा मचाए गए भ्रष्टाचार के कीचड़ ने भाजपा की राह आसान कर दी है - कमल कीचड़ में ही खिलता है। प्रदेशभर में परिवर्तन की लहर है और लोग परिवारवाद व सामन्तशाही राजनीति से छुटकारा पाना चाहते हैं। 'जागरण' से वार्ता में पूर्व राज्यमन्त्री ने प्रदेश की राजनीति से लेकर स्थानीय मुद्दों और चुनावी माहौल पर वार्ता की तो गठबन्धन व बसपा की नीति पर हमला भी किया-
अब हवाएं ही करेंगी रोशनी का फैसला,
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा,
गर चिरागों की हिफा़जत फिर उन्हें सौंपी
तो रोशनी मर जाएगी, केवल धुँआ रह जाएगा
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सवाल : चुनावी महासंग्राम में कांग्रेस-सपा गठबन्धन को कहाँ देखते हैं-
जवाब : गठबन्धन विचारों का नहीं, बल्कि मोदी के डर से जन्मा है। उप्र में सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार थी, लेकिन राहुल गाँधी को साइकिल पर बिठाकर अखिलेश भी अपंग हो गए हैं। दोनों टूटी साइकिल पर बैठे हैं, जिसे मुलायम सिंह ही पंक्चर कर चुके हैं।
सवाल : राहुल गाँधी ने 2019 में मोदी को आराम देने का बयान दिया है।
जवाब : 'जसुराज प्रिय प्रजा दुखारी तो नृप अवस नरक अधिकारी'। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी परिवार के मुखिया हैं और मुखिया तभी पूरा आराम करता है, जब उसका परिवार सुखी हो जाता है। राहुल, मोदी को रिटायर करने की बात कह रहे हैं, जबकि वह खुद टायर्ड (थक) हो चुके हैं।
सवाल : प्रदेश की राजनीति किस दिशा में जा रही?
जवाब : भाजपा को छोड़ शेष सभी दल तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। सपा और बसपा ने इसी हिसाब से मुस्लिम को टिकट भी दिए, क्योंकि दोनों दलों के पास स्वजातीय वोट के अलावा कुछ नहीं है। प्रदेश में अब जातीय मिथक टूट रहा है। लोकसभा चुनाव में यह साबित भी हुआ। भाजपा के साथ यादव समाज भी है, और अहिरवार भी।
सवाल : अखिलेश यादव ने 'काम बोलता है' का नारा दिया है।
जवाब : बुन्देलखण्ड में विकास की तस्वीर सा़फ दिखाई दे रही है। सैकड़ों गाँवों में पीने का पानी नहीं है, रो़जगार नहीं है। लोग पलायन को म़जबूर हैं। ऐसे में अखिलेश का क्या काम बोलता है, जनता को सब समझ आ रहा है।
सवाल : नोटबन्दी का चुनाव पर कितना असर होगा?
जवाब : प्रधानमन्त्री ने नोटबन्दी का फैसला कालाधन और आतंकवाद पर हमला करने के लिए लिया था। बुन्देलखण्ड का ग्रामीण तो भुखमरी की कगार पर है, उसके पास पैसा ही नहीं है, तो नोटबन्दी से उसे क्या फर्क पड़ेगा, लेकिन इससे देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी और इसका लाभ ़गरीबों को मिलेगा। यह बात जनता जानती है और इसलिए मोदी के साथ खड़ी है।
सवाल : झाँसी-ललितपुर की चुनावी तस्वीर कैसी ऩजर आ रही है?
जवाब : दोनों जनपदों की अधिकांश सीटों पर इस बार विपक्षी दलों का खाता भी नहीं खुलेगा। दोनों जनपदों में 3 लाख से अधिक कुशवाहा समाज का मतदाता है। हर सीट पर 30 से 40 ह़जार इसी समाज के हैं, जो भाजपा के साथ खड़े हैं। इसके अलावा कुर्मी, लोधी, ढीमर, रायकवार, पाल समाज का वोट भी भाजपा के साथ है। इस बार हर विधानसभा में बड़ा प्रतिशत यादव समाज का वोट भी मिलेगा, जबकि ब्राह्माण, क्षत्रिय, कायस्थ व वैश्य समाज तो परम्परागत वोट है।
सवाल : भाजपा वंशवाद की बात कहती है, पर नेताओं के परिजनों को टिकट दिए?
जवाब : भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है। नेताओं के उन्हीं परिजनों को टिकट दिए गए हैं, जो ़जमीन से जुड़कर पार्टी का काम करते हैं, जबकि कांग्रेस, सपा में तो राजनैतिक विरासत पीढि़यों से सौंपी जा रही है।
सवाल : बुन्देलखण्ड राज्य का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ?
जवाब : बुन्देलखण्ड राज्य के लिए मध्य प्रदेश के लोग तैयार नहीं है, इसलिए उत्तर प्रदेश के हिस्से का नक्शा फाइनल होना है। 2019 तक अलग बुन्देलखण्ड राज्य अस्तित्व में आ जाएगा। जालौन में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसके संकेत दिए हैं।