सेना की जासूसी में लिपिक दोषी
झाँसी : जनपद के एसडीएम सदर कार्यालय से सेना के दस्तावेज लीक करने के प्रकरण में स्टेनो राघवेन्द्र अहि
झाँसी : जनपद के एसडीएम सदर कार्यालय से सेना के दस्तावेज लीक करने के प्रकरण में स्टेनो राघवेन्द्र अहिरवार को एटीएस ने दोषी मान लिया है। लिपिक ने जुलाई 2009 से जुलाई 2017 तक एसडीएम कार्यालय में नियुक्ति के समय सेना से जुड़े विभिन्न प्रतिबन्धित पत्राचार की सूचना एक रहस्मय मोबाइल फोन के जरिए एक व्यक्ति को लगातार दी।
झाँसी जासूसी प्रकरण में एसडीएम सदर के स्टेनो रहे वर्तमान में एडीएम (न्याय) के स्टेनो राघवेन्द्र अहिरवार ने सेना के दस्तावेज की गोपनीयता भंग करने की बात स्वीकार की है। आतंकवाद निरोधक टीम (एटीएस) के डीएसपी मनीष सोनकर के नेतृत्व में टीम द्वारा कर्मचारियों से कई दौर की पूछताछ के बाद स्टेनो को सेना के दस्तावेज की गोपनीयता भंग करने का दोषी पाया है। लखनऊ में यूपी एटीएस के आइजी असीम अरुण द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि कई दौर की पूछताछ तथा विवेचना से प्रमाणित हो गया कि लिपिक राघवेन्द्र अहिरवार अनधिकृत रूप से प्रतिबन्धित सूचना को एक अनधिकृत व फर्जी व्यक्ति को देता था, जो 3,4,5,9 शासकीय गोपनीयता अधिनियम 1923 का अपराध है, जिसकी सजा का प्रावधान 7 साल से कम है। इसीलिए प्रकरण में गिरफ्तारी नहीं की जा रही है। साथ ही उक्त अभियोग के तहत अभियोजन स्वीकृति प्राप्त की जाएगी और चार्ज शीट न्यायालय में दी जाएगी।
एटीएस की विवेचना में यह सामने आया है कि स्टेनो द्वारा अपनी नियुक्ति के समय भारतीय सेना से प्राप्त पत्राचारों और अभिलेखों का रखरखाव किया जाता था। इस दौरान बबीना फील्ड फायरिंग रेंज (बीएफएफआर) में फायरिंग प्रैक्टिस के लिए भारतीय सेना की विभिन्न यूनिट्स आती रहती है, जिससे सम्बन्धित सूचना उन सभी यूनिट द्वारा जि़लाधिकारी झाँसी को प्रतिबन्धित पत्र द्वारा दी जाती थी। उक्त पत्र एसडीएम सदर के भी कार्यालय में आते हैं। एसडीएम कार्यालय से इस प्रतिबन्धित सूचना को वर्ष 2009 से ही एक तथाकथित मेजर यादव बदल-बदल कर 9 अंकों के मोबाइल नम्बर से कॉल कर प्राप्त करता था, जो अपने को बबीना में नियुक्त होने की बात कहता रहा। इस मोबाइल नम्बर पर कॉल बैक करने से कॉल नहीं लगती थी। उसने कभी भी यह सत्यापित नहीं किया गया कि एक मेजर पद का व्यक्ति क्यों सीधे बात कर सूचना ले रहा है। सेना के दस्तावेज में बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में सेना के विभिन्न यूनिट के अभ्यास की सूचना रहती थी। सेना ने जाँच में इस तरह की सूचना प्राप्त करने से इंकार किया है।
इण्टरनेट कॉल का होता था प्रयोग
राघवेन्द्र के मोबाइल सीडीआर के एनालिसिस से ज्ञात हुआ कि तथाकथित मेजर यादव जिस नम्बर से बात करता था, वह इण्टरनेट कॉल होता था या सिम बॉक्स के जरिए कॉल करता था। एटीएस इसकी अभी तकनीकि जाँच कर रही है कि वह इण्टरनेट की कॉल कहा से आती थी।