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जनपद में 100 से अधिक शिक्षक 'सरप्लस'

झाँसी : शासन ने परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों के लिए समायोजन व स

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Jun 2017 01:05 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 01:05 AM (IST)
जनपद में 100 से अधिक शिक्षक 'सरप्लस'
जनपद में 100 से अधिक शिक्षक 'सरप्लस'

झाँसी : शासन ने परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों के लिए समायोजन व स्थानान्तरण की नीति को हरी झण्डी दे दी है। इस नीति से जनपद के 100 से अधिक शिक्षकों पर तलवार लटक गयी है, जिनके लिए अब किसी विद्यालय में स्थान नहीं मिलने वाला है। हालाँकि जनपद स्तर पर समायोजन की नीति तो तैयार हो गयी है, लेकिन जो शिक्षक जनपद में ही सरप्लस हैं, उन्हें किस तरह समायोजित किया जाएगा, इसको लेकर निर्देश नहीं मिले हैं। शिक्षकों का समायोजन स्कूलों में छात्र संख्या के अनुपात में सृजित पद के तहत किया जाएगा।

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प्रदेश के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह ने जारी स्थानान्तरण व समायोजन नीति में शैक्षिक सत्र वर्ष 2017-18 में जनपद के अन्दर होने वाले समायोजन व स्थानान्तरण को लेकर निर्देश जारी किए हैं। इसको लेकर जनपद में ़िजलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी गयी है, जिसमें बीएसए को सदस्य सचिव, प्राचार्य डायट व एक खण्ड शिक्षा अधिकारी को सदस्य बनाया जाएगा। पिछले वर्षो में अध्यापकों की वृहद संख्या में हुई नियुक्ति से परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या में वृद्धि हुई है। साथ ही अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण ने भी शिक्षकों की संख्या बढ़ायी है। इससे जनपद में ही अध्यापक तय छात्र अनुपात से अधिक हो गये। छात्र अनुपात में तैनाती नहीं हो पाने से अधिकतर विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या अधिक हो गयी। समायोजन प्रक्रिया के बाद जनपद में 100 अधिक अध्यापकों को वेतन देना भी मुश्किल हो जाएगा। शासन इसको लेकर बाद में नीति तय कर सकता है।

शासन ने परिवर्तित छात्र संख्या के आधार पर विद्यालयों में पदों का निर्धारण कर अध्यापकों के समायोजन व स्थानान्तरण करने को कहा है। इसमें शिक्षकों की विकलांगता, गम्भीर बीमारी व अन्य कठिनायी होने पर उनकी सुविधा को ध्यान में रखने को कहा गया है। शासन के निर्देश में नए शैक्षिक सत्र 2017-18 में नवीनतम छात्र नामांकन संख्या प्राप्त कर प्रत्येक विद्यालय में अनिवार्य शिक्षा ़कानून के हिसाब से अध्यापकों के पदों का निर्धारण किया जाना है। इसके लिए अप्रैल माह के छात्रांकन के हिसाब से छात्र अनुपात व पदों के निर्धारण की सूची जनपद स्तर से शासन को भेज दी गयी है। इस सूची की स्वीकृति के बाद जनपद में सबसे पहले समायोजन किया जाएगा, जिसमें तय मानक से अधिक अध्यापक होने पर कम अध्यापकों वाले स्कूल में भेजा जाएगा। जनपद से शैक्षणिक सत्र के पहले माह अप्रैल की 30 तारीख के हिसाब से छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों के सृजित पद की सूची भेज दी गयी है। इसका अनुमोदन इसी सप्ताह हो जाने की सम्भावना है। इसके बाद समायोजन की प्रक्रिया शुरू होगी।

समायोजन में कनिष्ठतम अध्यापक हटाए जाएंगे

समायोजन की नीति के तहत जनपद में छात्र अनुपात से अधिक शिक्षक होने पर सबसे पहले कनिष्ठतम अध्यापक हटाए जाएंगे। इन्हें दूसरे विद्यालयों में पद स्थापित किया जाएगा। विकलांग, असाध्य व गम्भीर बीमारी से ग्रसित, महिला शिक्षकों का समायोजन उनकी सुविधा के हिसाब से उसी विकास खण्ड में किया जाएगा। शासन ने सा़फ कहा है कि जिस विद्यालय से सरप्लस अध्यापकों का समायोजन किया जाएगा, उस विद्यालय में किसी अध्यापक को स्थानान्तरित या तैनात नहीं किया जाएगा। शासन ने 15 जुलाई तक समायोजन करने को कहा है।

ऐसे तय होगा छात्र अनुपात

शासन ने बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक (जूनियर) विद्यालयों में छात्रों व शिक्षकों के बीच अनुपात तय कर दिया है। प्राथमिक विद्यालयों में शून्य से 60 विद्यार्थियों पर 2 शिक्षकों की तैनाती होगी, जिसमें 1 प्रधानाध्यापक तथा 1 सहायक शिक्षक तैनात होगा। इससे ऊपर प्रत्येक 30 छात्र-छात्राओं पर एक सहायक शिक्षक तैनात किया जाएगा। इसी प्रकार उच्च प्राथमिक विद्यालय में शून्य से 100 विद्यार्थियों पर 3 शिक्षक, जिसमें एक प्रधानाध्यापक व 2 सहायक शिक्षक तैनात होंगे। इस छात्र अनुपात में अब प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक की तैनाती अनिवार्य होगी। अभी अधिकतर विद्यालयों में यह पद रिक्त हैं। अब उच्च प्राथमिक विद्यालय में सरप्लस शिक्षकों को प्राथमिक विद्यालयों में तैनाती का मौका मिलेगा, जबकि अभी तक प्रभार के रूप में कार्य सहायक अध्यापक देख रहे थे। इससे अब प्रभारी प्रधानाध्यापक की गिनती सरप्लस को बढ़ाएगी।

निशाने पर आ गए सुविधा पाने वाले शिक्षक

पिछली सरकार में जनपद के अन्दर स्थानान्तरण व समायोजन नीति शून्य होने के बाद बड़े स्तर पर स्थानान्तरण व समायोजन हुए। स्थानान्तरण के लिए ़िजला स्तर के प्रस्ताव को सचिव स्तर से अनुमोदित किया गया और स्थानान्तरण कर दिया गया। जानकार बताते हैं कि इसमें जनपद से इलाहाबाद तक सुविधा शुल्क का बोलबाला रहा, तो सत्ताधारी दल ने भी स्थानान्तरण कराए। अब यही शिक्षक नयी स्थानान्तरण नीति से निशाने पर आ गए। विद्यालय में सबसे कम ठहराव यानी, कनिष्ठतम शिक्षकों का समायोजन दूसरे विद्यालय में किया जाना है। इनमें वही शिक्षक है, जिन्होंने अपनी सुविधा से विद्यालय का चयन किया, जहाँ पर सृजित पद नहीं थे और छात्रों का नामांकन भी कम था। अब सुविधा पाए शिक्षकों की स्थिति सिर मुड़ाते ही ओले गिरने वाली हो गयी है। इन शिक्षकों को फिर अपनी सुविधा चुननी पड़ेगी, जो नयी नीति में कम ही दिख रही है।

स्थानान्तरण को बनेंगे ़जोन

शासन की स्थानान्तरण नीति में जनपद के अन्दर ़जोन बनाने को कहा गया है। इसके तहत ़जोन-प्रथम में नगर निगम सीमा या जनपद मुख्यालय से 8 किलोमीटर के दायरे, जो भी अधिक हो, ़जोन द्वितीय में तहसील मुख्यालय से 2 किलोमीटर तक तथा इसके बाद के विद्यालयों को ़जोन-3 में रखा जाएगा। समायोजन की प्रक्रिया के बाद स्थानान्तरण होंगे और इसके लिए फिलहाल 30 जून तक ऑन लाइन आवेदन करने को कहा गया है। इसमें अध्यापकों को 5 विकल्प देने होंगे। गुणवत्ता अंक के आधार पर स्थानान्तरण होंगे।


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