बारिश : कहीं राहत, कहीं आफत
झाँसी : शाम को अचानक मौसम ने करवट बदली और झमाझम बारिश ने गर्मी से मुक्ति दिला दी। बीती रात को हुई बा
झाँसी : शाम को अचानक मौसम ने करवट बदली और झमाझम बारिश ने गर्मी से मुक्ति दिला दी। बीती रात को हुई बारिश के बाद दिन में पड़ी उमस ने घर के बाहर निकलना मुश्किल कर दिया था। बारिश एक तरह तो राहत लेकर आयी, पर कई जगह आफत भी बन गयी। कई जगह पेड़ टूटकर गिरने से वाहनों को नु़कसान हुआ, तो बिजली व्यवस्था भी पटरी से उतर गयी।
आज शाम लगभग 5 बजे बादलों ने गरजने के बाद बरसना शुरू किया, तो करीब डेढ़ घण्टे तक रुके नहीं। इससे सड़कों पर पानी भर गया। मौसम में अचानक तब्दीली आ गयी और ठण्डी हवाएं चलने लगीं। बारिश के साथ आँधी भी जोर की चली, जिसने नु़कसान भी किया। सर्किट हाउस के मुख्य द्वार पर एक बड़ा पेड़ टूटकर नीचे खड़ी कार (यूपी-32 एफएल 6581) पर गिर गया, जिससे कार क्षतिग्रस्त हो गयी। कार में औरेया के डिप्टी आरएमओ लालमणि पाण्डे बैठे थे। उन्होंने पीछे होकर अपनी जान बचायी। वहीं, विकास भवन के बाहर लगा पेड़ भी टूटकर गिर गया। गनीमत रही कि उस वक्त वहाँ कोई नहीं था। इधर, रेलवे स्टेशन के बाहर आरपीएफ थाने के पीछे बने पार्किंग स्टैण्ड में भी एक बड़ा पेड़ टूटकर गिर गया, जिससे नीचे रखीं 4-5 कारें क्षतिग्रस्त हो गयीं। पेड़ को बमुश्किल हटाया जा सका। इसके साथ ही कई जगह मुख्य मार्गो पर पेड़ की डाली टूटकर गिरने से जैम की भी स्थिति बनी।
शाम को चली ते़ज आँधी से राजकीय पॉलिटेक्निक के पास एक पेड़ टूटकर मुन्नालाल पावर हाउस की 33 केवीए लाइन पर गिर गया, जिससे लाइन टूट गयी। बारिश रुकने के बाद लाइन की मरम्मत का काम शुरू किया गया, रात लगभग 8.30 बजे विद्युतापूर्ति सुचारू हो पायी। हाँ, इतना ़जरूर रहा कि मौसम सुहाना होने से लोग शाम को घरों से बाहर घूमने के लिए निकले। बच्चों ने भी बारिश का खूब लुत्फ उठाया।
बारिश ने खोली व्यवस्थाओं की पोल
शाम को झमाझम बारिश के कारण जगह-जगह सड़कों पर पानी भर गया, तो नाले उफना गये। बारिश से पहले नालों की स़फाई न करने का नतीजा लोगों को भुगतना पड़ा। सड़क व घरों में घुसी गन्दगी की दुर्गन्ध ने लोगों को खूब परेशान किया। इधर, सीपरी बा़जार कच्चे पुल पर पानी भरने से जैम लग गया। जैम बढ़ते जाने से वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त हो गयी और दोनों ओर से लोग निकलने शुरू हो गये। टीएसआइ सुभाषचन्द्र यादव ने वहाँ पहुँचकर वन-वे व्यवस्था को बहाल कराया, तब जाकर जैम खुल पाया।
इन्द्रधनुष को निहारते रहे लोग
शाम को पानी बरसने के बाद फिर धूप निकल आयी, जिससे इन्द्रधनुष बन गया। इन्द्रधनुष के रंग बिल्कुल सा़फ दिखायी दे रहे थे और यह काफी करीब लग रहा था।