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20 करोड़ की लागत से विकसित होगा कृषि विवि

झाँसी : बुन्देलखण्ड का केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय एक साल के अन्दर पूरी तरह विकसित हो जाएगा। विश्वव

By Edited By: Published: Fri, 13 Jan 2017 01:37 AM (IST)Updated: Fri, 13 Jan 2017 01:37 AM (IST)
20 करोड़ की लागत से विकसित होगा कृषि विवि

झाँसी : बुन्देलखण्ड का केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय एक साल के अन्दर पूरी तरह विकसित हो जाएगा। विश्वविद्यालय की फाइनल डि़जाइन तैयार हो गयी है और इसे अनुमोदन के लिए जेडीए भेज दिया गया है। विश्वविद्यालय कैम्पस हरित होगा और विद्यार्थियों को प्रायोगिक शिक्षा देने के लिए सभी तरह की सुविधाएं यहाँ उपलब्ध होंगी।

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रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से ही इसकी बिल्डिंग का सपना देखा जाने लगा था। हाल ही में विश्वविद्यालय का अस्थाई कार्यालय भवन तैयार कर लिया गया है, जिसका उद्घाटन किन्हीं कारणों से टल गया। विश्वविद्यालय ने कैम्पस निर्माण को यहीं नहीं छोड़ा, बल्कि आगे बढ़ता जा रहा है। विश्वविद्यालय ने कैम्पस का फाइनल डि़जाइन तैयार कर जेडीए भेज दिया है। यहाँ से अनुमोदित होने के तुरन्त बाद इसका टेण्डर कर दिया जाएगा। कैम्पस निर्माण में अनुमानित 20 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसे एक साल के अन्दर की निर्मित करने का लक्ष्य तय किया गया है। विश्वविद्यालय कैम्पस में कई वॉटर हार्वेस्टिंग पॉण्ड, रिसर्च प्लॉट्स, विभिन्न विभागों के ब्लॉक होंगे। चूँकि यह कृषि विवि है, इसलिए यह हरित होगा। हरियाली कैम्पस को चार चाँद लगाएगी, तो आधुनिक लैब भी विद्यार्थियों को बेहतर प्रायोगिक शिक्षा देने के लिए उपलब्ध करायी जाएंगी। हाल ही में हुई विश्वविद्यालय की बोर्ड ऑफ मैनिजमेण्ट की बैठक में तय किया गया है कि आगामी शैक्षणिक सत्र से बीएससी ऐग्रिकल्चर में 40, बीएससी फॉरेस्ट्रि में 20 व बीएससी हॉर्टिकल्चर में 20 छात्र/छात्राओं के प्रवेश लिये जाएंगे।

इसके अतिरिक्त दतिया (मप्र) में प्रस्तावित वेटेनरी कॉलिज के निर्माण की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाया जा रहा है। विश्वविद्यालय अधिकारियों के मुताबिक इसका प्री-स्ट्रक्चर इसी वर्ष में शुरू कराया जाना है, इसलिए यहाँ का निरीक्षण किया जा रहा है। कृषि मन्त्रालय से भी सम्पर्क बनाया रखा जा रहा है, ताकि काम जल्द से जल्द शुरु हो सके।

300 एकड़ में फैला है कैम्पस

केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कैम्पस के लिए 300 एकड़ जगह दी गयी है। हाल में विश्वविद्यालय में कम प्रवेश लिये जा रहे हैं, पर शिक्षण व शोध के लिए यह विश्वविद्यालय भविष्य में एक बड़ा माध्यम साबित होगा। बुन्देलखण्ड में इस विश्वविद्यालय के निर्माण की वजह यहाँ की कृषि अर्थव्यवस्था को सुधारना बताया जाता है। विवि में होने वाली आधुनिक रिसर्च व बीजों की बेहतर प्रजातियों बुन्देलखण्ड के किसानों को न सिर्फ नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाएंगी, बल्कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस पर ऩजर भी रखेंगे। चना व सरसों पर यह काम शुरू भी किया जा चुका है, जिसके परिणाम आने शेष हैं। हालाँकि, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को पूरी उम्मीद है कि परिणाम सकारात्मक आएगा

इन्होंने कहा

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविन्द ने बताया कि विश्वविद्यालय कैम्पस के डिवेलपमेण्ट का मास्टर प्लैन व डि़जाइन तैयार कर ली गयी है। जेडीए से अनुमोदित होने के बाद इसका टेण्डर कर दिया जाएगा।

भगवान के भय..

झाँसी : इसे आस्था कहें या भगवान का भय - लोग मन्दिर स्थल को स्वच्छ रखने का पूरा प्रयास करते हैं, फिर चाहे इसके लिए समाजिक व्यवस्थाओं की ही बलि क्यों न देनी पड़ जाए। सूजे खाँ खिड़की के पास एक स्थान पर कूड़े का ढेर लगा रहता था। आसपास के लोग इससे परेशान थे। उपाय सूझा और यहाँ चबूतरा बनाकर भगवान का वास करा दिया। इसके बाद से यह स्थान गन्दगी मुक्त हो गया। पर, गन्दगी तो स्थायी है और इसका अन्त तभी सम्भव है, जब लोग अपनी सोच बदलें। और, सोच नहीं बदलने का नतीजा इसी जगह के थोड़ी आगे देखा जा सकता है, जहाँ लोगों ने सड़क को कूड़ाघर बना दिया। -बिपिन


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