दीपावली : रोशनी से रोशन हो, प्रदूषण से नहीं
झाँसी : हवा में सनसनाता हुआ आसमान की ओर जाता रॉकेट और कभी चारों तरफ ते़ज रोशनी बिखेरता अनार - देखने
झाँसी : हवा में सनसनाता हुआ आसमान की ओर जाता रॉकेट और कभी चारों तरफ ते़ज रोशनी बिखेरता अनार - देखने में ये जितने खूबसूरत लगते हैं, उतने ही ये ख़्ातरनाक भी हैं। मानव स्वास्थ्य के लिए तो ये नु़कसानदेह हैं ही, पर्यावरण के लिए और भी अधिक। इसका सबसे बुरा असर बच्चों और पौधों पर पड़ता है। बड़े पेड़ तो फिर भी इनसे निकलने वाली कार्बन मोनो आक्साइड को बर्दाश्त कर लेते हैं, लेकिन छोटे पौधों को इनसे काफी नु़कसान होता है। पटाखों से निकलने वाले धुएँ से अस्थमा, आँखों में जलन और कभी-कभी उल्टियाँ भी होने लगती हैं।
कम डेसिबल के पटाखे लें
दीपावली रोशनी का त्योहार है। इस मौके पर लोग लाइट के साथ मकानों-दुकानों को तो रोशन करते ही हैं, इस त्योहार का मुख्य आकर्षण पटाखों को भी मानते हैं। दिखावे के चक्कर में लोग लाखों की आतिशबाजी धुएँ में तब्दील कर देते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान नहीं देते कि ये मानव स्वास्थ्य के साथ ही पर्यावरण को कितनी तकलीफ दे रहा है। अगर आपको पटाखे चलाना ही है, तो इन्हें पर्यावरण आकलन के अनुसार ही ख़्ारीदें - 45 से 55 डिफिशंसि वाले पटाखे ही उपयोग में लाएं - इससे अधिक वाले कतई नहीं।
बढ़ रहा प्रदूषण
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के अनुसार वायु प्रदूषण का स्तर निरन्तर बढ़ रहा है। इसे कम करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन बिना आम लोगों के सहयोग के यह सम्भव नहीं।
ध्वनि प्रदूषण
इससे अभिप्राय आवा़ज से होने वाला प्रदूषण है, हालाँकि इस आकड़े में कमी आई है। वर्ष 2012 में ध्वनि प्रदूषण 77.26 म्यू (ध्वनि प्रदूषण को मापने के लिए किया जाने वाला आकलन) था, वहीं 2013 में यह बढ़कर 83.32 म्यू हो गया। यह आँकड़ा आवासीय क्षेत्र का है और पिछली दीपावली के दिन का है। सुखद बात यह है कि दो सालों में इसमें कमी आई है। 2015 में यह आँकड़ा गिर कर 63.56 म्यू हो गया।
वायु प्रदूषण में हो रही वृद्धि
पर्यावरण नियन्त्रण बोर्ड के अनुसार वायु प्रदूषण में निरन्तर वृद्धि हो रही है। इसका एक मुख्य कारण आकाशीय पटाखों का बढ़ता चलन है।
पटाखे जलाते समय बरते सावधानियाँ
पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड के अनुसार पटाखे जलाते समय अगर छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए, तो प्रदूषण को काफी हद तक नियन्त्रित किया जा सकता है।
0 घर या छत पर पटाखे जलाने की अपेक्षा खुले स्थान पर ये जलाए जाएं, तो ध्वनि प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण भी थोड़ा कम होगा।
0 कम डेसिबल के पटाखे ही उपयोग करें।
0 पटाखों पर दी गई जानकारी को पढ़कर ही इसे ख़्ारीदें।
0 आकाशीय पटाखों का उपयोग कम से कम करें।
बच्चों को दें विशेष हिदायत
पटाखे ख़्ारीदने और जलाने से पहले बच्चों को इस जानकारी देना जरूरी हैं। आप इन जानकारियों से बच्चों को अवश्य अवगत कराएं-
0 पटाखे जलाते समय इससे दूरी बनाए रखें।
0 अधिक आवा़ज वाले पटाखे उपयोग में न लाएं, इससे बच्चों के कान पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
0 पटाखे जलने के बाद जले हुए पटाखों के साथ छेड़छाड़ न करें। ये बहुत ही ख़्ातरनाक हो सकता है।
0 पटाखे जलाते समय मुँह पर मास्क लगाकर ही इन्हें जलाएं।
0 जहाँ तक सम्भव हो, छोटे पटाखे ही उपयोग में लाएं।
इन्होंने कहा
पर्यावरण प्रदूषण भारी समस्या है। वैसे ही दिन-ब-दिन बढ़ते ट्रैफिक के साथ तो ये बढ़ रहा है। दीपावली के समय तो ये दोगुने से भी अधिक हो जाता है। आम लोगों को इसको लेकर जागरूक होना होगा। उनके सहयोग के बिना किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर काबू पाना सम्भव नहीं।
0 डॉ. माधवी कमलवंशी
सहायक वैज्ञानिक अधिकरण, क्षेत्रीय कार्यालय उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड।