टीवी धारावाहिक से प्रभावित होकर घर छोड़ा
झाँसी : टीवी धारावाहिक बच्चों के दिल और दिमाग पर कितना प्रभाव छोड़ते है, इसका प्रमाण रेलवे स्टेशन परि
झाँसी : टीवी धारावाहिक बच्चों के दिल और दिमाग पर कितना प्रभाव छोड़ते है, इसका प्रमाण रेलवे स्टेशन परिसर में देखने को मिला। यहाँ एक किशोरी सिसक-सिसक कर रो रही थी। उसने सीरियल के एक किरदार से प्रभावित होकर घर छोड़ दिया। अब उसे भय सता रहा था कि वह घर जाकर कैसे अपने परिजनों को मुँह दिखाये। गुमशुदगी दर्ज होने पर पुलिस ने ऑपरेशन स्माइल से उसकी लोकेशन प्राप्त की और समझा-बुझाकर उसे परिजनों के सुपुर्द कर दिया।
थाना सदर बा़जार के मस्जिद मुहल्ला में रहने वाले एक व्यक्ति ने पुलिस को सूचना देते हुए बताया था कि उसकी 15 वर्षीय पुत्री 25 जून को प्रात: 6.30 बजे साइकिल से घर से निकली और फिर वापस नहीं आयी। काफी खोजने के बाद भी उसका कोई पता नहीं चला। पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर ली थी। पुलिस अधीक्षक (नगर) दिनेश कुमार सिंह ने सदर बा़जार थानाध्यक्ष स्वतन्त्र देव सिंह को सुरागरसी करने के निर्देश दिये। टेक्निकल सपोर्ट ग्रुप (टीएसजी) के सहयोग से किशोरी की लोकेशन रेलवे स्टेशन के पास मिली। खोजबीन करने पर किशोरी की साइकिल वाहन स्टैण्ड पर खड़ी मिल गई। इसी दौरान पुलिस को जानकारी लगी कि स्टेशन परिसर में बने मन्दिर के पास एक किशोरी खड़ी है। पूछताछ में उसने बताया कि टीवी धारावाहिक 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' की किरदार 'नायरा' से प्रभावित होकर वह घर में किसी को बिना कुछ बताये स्टेशन पर आ गयी थी। साइकिल को स्टैण्ड पर खड़ा करने के बाद वह ट्रेन से ग्वालियर और फिर आगरा चली गयी। जब उसे एहसास हुआ कि बिना बताये आने से परिजन परेशान हो रहे होंगे, तो वह आगरा से झाँसी जाने वाली ट्रेन में बैठकर झाँसी स्टेशन पर आ गयी, लेकिन यहाँ आने पर उसे डर सताने लगा कि अगर वह घर गयी, तो मम्मी-पापा डाटेंगे। इस कारण वह स्टेशन पर ही खड़ी थी, तभी पुलिस उसे पकड़ कर ले आयी। किशोरी ने बताया कि 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' नाटक में 'नायरा' का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री अपने परिजनों को बिना बताये एक अन्य शहर में चली जाती है। वहाँ पर जाकर वह काम करती है और खूब नाम कमाती है। यही सोच के उसने भी यह कदम उठा लिया था।
आजम की अगुवाई में जुटा नगर निगम
झाँसी : न संसाधन की कमी है और न कर्मचारियों की। अगर कमी है तो इच्छा शक्ति की। शहरी विकास मन्त्री और सरकार के कद्दावर नेता आजम खाँ के आगमन की सूचना क्या आयी। उतने ही संसाधन और वही हैण्ड होने के बाद भी शहर की सड़कें चकाचक हो गयीं। बंजर डिवाइडर हरे-भरे हो गये और सड़कों से अवैध ़कब़्जे गायब हो गये। साथ ही सवाल छोड़ गये कि आखिर ऐसी व्यवस्था आम दिनों में क्यों नहीं रह सकतीं?
शहर की सड़कों के चौड़ीकरण के बाद डिवाइडरों में सड़कों से निकले डामर व गिट्टी वाला मलबा भर दिया गया था। इस मुद्दे को 'जागरण' ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद नगर निगम ने कुछ डिवाइडर्स से मलबा हटाकर मिट्टी डलवा दी थी, तो कई जगहों पर फिर भी छोड़ दिया गया। नतीजा वहाँ पर आज तक न तो घाँस उगी और न ही पौधे। इतना जरुर होता चला आ रहा है जब भी कोई वीआइपी आता है, तो यहाँ पर पौधे लगा दिये जाते हैं और वीआइपी के जाने के बाद यह सूख कर गायब हो जाते। एक बार फिर शहरी विकास मन्त्री के आगमन को लेकर इन डिवाइडर्स पर पौधे लगा दिये गये हैं, तो कुछ स्थानों पर इन पेड़ों को आवारा जानवर खा गये हैं। इतना ही नहीं अवैध ़कब़्जों ने शहर की सड़कों को आगोश में ले रखा है। जगह-जगह दुकानदारों ने अपनी दुकानों के आगे टीन शेड आदि लगाकर ़कब़्जा कर रखा है, जिसकी वजह से आवागमन तो प्रभावित रहता ही है, दुर्घटनाएं भी होती हैं। समय-समय पर इस ओर ध्यान आकर्षित कराये जाने के बाद भी नगर निगम के अधिकारियों को जहाँ यह अवैध ़कब़्जे दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन अब 29 को विभाग के मन्त्री के आगमन पर यह कब्जे भी अफसरों को ऩजर आने लगे। आज अमले ने इलाइट चौराहा से लेकर बस स्टैण्ड तक की सड़क पर किए गए अवैध ़कब़्जों को हटवा दिया। इतना ही नहीं कई ठेले व खोमचों को जब्त करने के बाद इस हिदायत के साथ वापस कर दिया कि वह पुन: सड़क किनारे पर ़कब़्जा नहीं करेंगे। इसके साथ ही शहर की मुख्य सड़कों पर जमकर झाड़ू चली, जिससे चकाचक ऩजर आ रही थी, जबकि आम दिनों में सड़कों की क्या हालत रहती है यह किसी से छिपा नहीं है। सफाई विभाग के अधिकारियों से शिकायत करने पर वह कोई न कोई कमी बता देते हैं, लेकिन अब जब विभाग के मन्त्री आ रहे है, तो न संसाधनों की कमी है और न ही सफाई कर्मियों की। जो नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्य प्रणाली की पोल खोल रहे हैं।