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271 तालाबों में नहीं पाली जा सकी मछलियाँ

झाँसी : सूखे ने खेती को ही तबाह नहीं किया है, मत्स्य पालकों के सामने भी आजीविका का संकट खड़ा कर दिया

By Edited By: Published: Sat, 23 Jan 2016 12:33 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2016 12:33 AM (IST)
271 तालाबों में नहीं पाली जा सकी मछलियाँ

झाँसी : सूखे ने खेती को ही तबाह नहीं किया है, मत्स्य पालकों के सामने भी आजीविका का संकट खड़ा कर दिया है। जनपद के 271 तालाबों में मत्स्य पालक मछली का उत्पादन नहीं कर पाए हैं। कुछ में तो इसके बच्चे डाले गए, लेकिन तलहटी पर पानी पहुँचने के कारण उनकी मौत हो गई। विभाग ने मुआवजे के लिए 20.50 लाख रुपए का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।

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मवेशियों को पानी उपलब्ध कराने तथा जल स्तर संरक्षित करने के उद्देश्य से ग्राम पंचायतों में तालाब खुदवाए जाते हैं। पानी के साथ ही यह तालाब मत्स्य पालकों की आजीविका चलाने का भी काम करते हैं। राजस्व विभाग द्वारा मत्स्य पालकों को इनका पट्टा दिया जाता है, जिसके बाद वे मछली उत्पादन करते हैं। मत्स्य पालक 15 जुलाई से 15 सितम्बर तक इन तालाबों में मछली के बच्चे डालते हैं और 6 से 8 माह बाद मछली की बिक्री प्रारम्भ हो जाती है। दरअसल, अधिकांश तालाब बारिश के पानी पर निर्भर रहते हैं। औसत बारिश होने पर ही ये तालाब भर पाते हैं। दो सालों से कम बारिश के कारण तालाबों का पानी तलहटी तक पहुँच गया है, जबकि कई सूख गए हैं। इस बार अगस्त माह में बारिश होने के बाद कुछ तालाबों में पानी भरा, तो मत्स्य पालकों ने मछली के बच्चे डाल दिया, लेकिन फिर पर्याप्त बारिश नहीं हुई और सूरज की तपिश बढ़ गई, जिससे तालाब का जलस्तर कम हो गया और मछली के बच्चों ने दम तोड़ दिया। उधर, कई तालाबों का पट्टा लेने के बाद भी मत्स्य पालक मछली के बच्चे नहीं डाल पाए। लगातार दूसरे साल ऐसे ही हालात बनने से अब मत्स्य पालकों के सामने रो़जी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। बीते साल भी 259 तालाब सूखने के कारण मत्स्य पालन नहीं हो पाया था, जिसके एवज में 17.48 लाख रुपए का मुआवजा राशि शासन ने आवण्टित कर दी है। इस वर्ष 271 तालाब सूख गए, जिससे मत्स्य पालन प्रभावित हुआ है। उप निदेशक मत्स्य डॉ. आरके गौड़ ने बताया कि तालाब व मत्स्य पालकों को चिह्नित करते हुए मुआवजे का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।

मुआवजा राशि बनी छलावा

सूखे के कारण बर्बाद मत्स्य पालकों को दी जाने वाली मुआवजा राशि छलावा बन गई है। विभाग द्वारा मत्स्य पालकों से वार्षिक ठेका शुल्क 10 ह़जार रुपए प्रति हेक्टेयर वसूला जाता है, जबकि शासन ने मुआवजे के लिए मात्र 8,200 रुपए की धनराशि ही तय की है। पिछले वर्ष तक तो मुआवजा राशि मात्र 6000 रुपए ही दी जाती थी।

13 तालाबों का पट्टा कराने की कोशिश

कम बारिश के कारण अधिकांश तालाब सूख गए हैं या सूखने की कगार पर हैं, लेकिन अब भी कई तालाबों में पानी है। तहसील मोंठ के ऐसे 13 तालाबों की नीलामी प्रक्रिया 27 जनवरी को होगी। उप ़िजलाधिकारी मोंठ ने बताया कि खरैला, भरोसा, चितगुवाँ, गढूका, रेव, बम्हरौली, अंगथरी, बकुवाँ बुजुर्ग, छपार, निमोनिया, टाँडा, लड़ावरा, अमगाँव आदि ग्रामों के तालाबों का पट्टा आवण्टन मोंठ तहसील कार्यालय में शिविर लगाकर किया जाएगा।


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