'निरामय' करेगा गर्भवती महिला की केयर
झाँसी : गर्भवती महिला को अब प्रारम्भिक जाँच से लेकर टीके लगवाने के लिए तारीखों को याद रखने की ़जरूरत
झाँसी : गर्भवती महिला को अब प्रारम्भिक जाँच से लेकर टीके लगवाने के लिए तारीखों को याद रखने की ़जरूरत नहीं पड़ेगी और न प्रसव के बाद शिशु की सेहत के प्रति फिक्रमन्द होना पड़ेगा। यह ़िजम्मेदारी सॉफ्टवेयर सँभालेगा, जिसे नाम दिया गया है 'निरामय'। मातृ व शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए इजाद किए गए इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से एसएमएस भेजकर स्वास्थ के प्रति आगाह किया जाएगा।
जागरुकता के अभाव में अधिकांश गर्भवती महिलाएं सेहत के प्रति गम्भीर नहीं रहती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालत और भी ख़्ाराब है। यहाँ अब भी संस्थागत प्रसव का रेश्यु काफी कम है, जिससे महिला व शिशु की जान पर ख़्ातरा मँडराता रहता है। मातृ व शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए भारत सरकार द्वारा मदर एण्ड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम (एमसीटीएस) लागू किया है। इसके तहत गर्भधारित महिला व प्रसव के बाद जन्म लेने वाले शिशु का सम्पूर्ण ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। इसके तहत आशा व एएनएम घर-घर जाकर गर्भवती महिला को चिह्नित करेंगी तथा उनका रजिस्ट्रेशन कराएंगी। इसके बाद गर्भवती महिला की टेंशन खत्म। गर्भ पीरियड में होने वाली समस्त जाँचों के साथ ही शिशु को टीके लगवाने की ़िजम्मेदारी स्वास्थ विभाग की होगी। मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि 'निरामय' (वेदों के अनुसार इसका शाब्दिक अर्थ रोग मुक्त) सॉफ्टवेयर में प्रत्येक गर्भवती महिला व शिशु की पहचान होगी और जाँच व टीका की तिथि आने पर एएनएम व आशा के मोबाइल पर एसएमएस आएगा। सप्ताह में दो बार एएनएम को प्लैन दिया जाएगा, जिसके अनुरूप उन्हें कार्य करना होगा।
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10 हैल्थ पोस्ट में बाँटा महानगर
सरकारी सुविधाएं लेने में शहरी महिलाएं गम्भीर नहीं होती हैं। अधिकांश प्राइवेट चिकित्सकों से परामर्श लेती हैं, इसे देखते हुए महानगर को 10 हैल्थ पोस्ट में बाँटकर कवर करने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक पोस्ट पर 3-3 एएनएम क्षेत्र भ्रमण कर गर्भवती महिलाओं व शिशुओं का ब्यौरा एकत्र करेंगी और उसे पोर्टल पर अपलोड कराएंगी।
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प्रदेश का बन सकता है मॉडल
मदर एण्ड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम तो देशभर में चल रहा है, लेकिन यह प्रोग्राम निरामय सॉफ्टवेयर से केवल झाँसी जनपद में ही जोड़ा गया है। ़िजलाधिकारी अनुराग यादव, मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनोद यादव ने गहन मन्थन कर इस थीम को साकार रूप देने की कोशिश की है। अगर यह सॉफ्टवेयर सफलतापूर्वक काम करता है तो प्रदेश का मॉडल बन सकता है।
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कॉल सेण्टर पर भी होगा रजिस्ट्रेशन
गर्भवती महिला व शिशुओं तक शत-प्रतिशत पकड़ बनाने के लिए कॉल सेण्टर की स्थापना की गई है। 1800-1800-521 पर कॉल कर सूचना दी जा सकती है। इसके बाद एएनएम अथवा आशा घर पहुँचकर पूरा ब्यौरा लेकर रजिस्ट्रेशन कराएंगी।
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मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है उद्देश्य: सीडीओ
इस प्रयास का उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। अभी 1 लाख पर 233 गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हो जाती है, तो प्रति ह़जार पर 41 बच्चे जन्म से 1 वर्ष में काल के गाल में समा जाते हैं। जनपद में वर्ष 2016-17 के लिए मातृ मृत्यु दर 200 तथा शिशु मृत्यु दर 32 तक लाने का लक्ष्य तय किया गया है।