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वैध-अवैध में उलझे 25 ह़जार विद्युत उपभोक्ता

झाँसी : महानगर के 25 ह़जार से अधिक विद्युत उपभोक्ता वैध-अवैध के फेर में उलझ गए हैं। कम्प्यूटराइजेशन

By Edited By: Published: Wed, 04 Mar 2015 02:20 AM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2015 02:20 AM (IST)
वैध-अवैध में उलझे 25 ह़जार विद्युत उपभोक्ता

झाँसी : महानगर के 25 ह़जार से अधिक विद्युत उपभोक्ता वैध-अवैध के फेर में उलझ गए हैं। कम्प्यूटराइजेशन में जुटी कम्पनि इन उपभोक्ताओं को फेक (ऩकली) बता रही है, जबकि पुराना रिकॉर्ड इनके अस्तित्व की गवाही दे रहा है। अब विभाग ने इनको तलाशने का निर्णय लिया है।

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मैनुअल से कम्प्यूटराइजेशन की ओर ़कदम-दर-़कदम बढ़ रहे विद्युत विभाग ने उपभोक्ताओं का रिकॉर्ड सहेजने की ़िजम्मेदारी 'एचसीएल' कम्पनि को सौंपी है। इससे पहले यह कार्य 'सिया सॉफ्टवेयर' के सुपुर्द था। सूत्र बताते हैं कि सिया ने महानगर में लगभग 1 लाख 4 ह़जार उपभोक्ता होने का रिकॉर्ड संकलित किया था। कम्पनि बदली, तो पुराने रिकॉर्ड के आधार पर एचसीएल कम्पनि को काम की सुपुर्दगी कर दी गई। कम्पनि ने तमाम पड़ताल के बाद लगभग 25 ह़जार उपभोक्ताओं को सूची से बाहर कर दिया। इन उपभोक्ताओं को लेकर कम्पनि का कहना है कि ़काग़जों में ऩजर आने वाले इन उपभोक्ताओं का पता-ठिकाना नहीं मिल रहा है। विभाग इस तर्क को फिलहाल मानने को तैयार नहीं है। विद्युत विभाग के अधिकारियों का मानना है कि अगर रिकॉर्ड बना है, तो उपभोक्ताओं का अस्तित्व भी होगा। और इन्हीं अलग-अलग दावों से ये उपभोक्ता वैध-अवैध के फेर में फँस गए हैं। असमंजस की स्थिति समाप्त करने के लिए अब बिजली विभाग ने इन उपभोक्ताओं को तलाशने का निर्णय लिया है। अधीक्षण अभियन्ता राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि बिलिंग कम्पनि को इन कथित फेक उपभोक्ताओं की तलाश करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए कम्पनि को उपभोक्ताओं की सूची मय अड्रेस के देने की तैयारी की जा रही है। एसई ने बताया कि विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटि भी लगाई जाएगी, ताकि ऐसे उपभोक्ताओं को वैधता की श्रेणी में लाया जा सके। दरअसल, अब तक इन उपभोक्ताओं के बिल नहीं बनाए जा रहे हैं, जिससे वे मुफ्त की बिजली जला रहे हैं। अगर, वास्तव में इन उपभोक्ताओं का अस्तित्व है तो विभाग को इससे लाखों रुपए की चपत लग रही है।

चेतावनी से सुधरी बिलिंग कम्पनि

0 7 ह़जार अधिक उपभोक्ताओं के दरवा़जे पर दी दस्तक

0 कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाई

झाँसी : बिजली बिल बनाने में लापरवाही कर रही बिलिंग कम्पनि पर विभाग की चेतावनी का असर पड़ गया है। कम्पनि ने न केवल मीटर रीडर्स की संख्या बढ़ा दी है, बल्कि इस माह लगभग 7 ह़जार अधिक उपभोक्ताओं के दरवा़जे पर दस्तक देकर बिल बनाए हैं। परफॉर्मेस में सुधार देखते हुए विभाग ने भी कम्पनि को फिलहाल अभयदान देने का निर्णय लिया है।

उपभोक्ताओं की सही संख्या को लेकर असमंजस में फँसा बिजली विभाग लगभग 80 ह़जार उपभोक्ताओं तक पहुँच बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है। विभाग चाहता है कि इतने उपभोक्ताओं के शत-प्रतिशत बिल बनने लगें, तो हालत में सुधार की गुंजाइश काफी बढ़ जाएगी। उधर, मुख्यालय भी घरेलू उपभोक्ताओं की 90 प्रतिशत बिलिंग कराने का फरमान सुना चुका है। आदेश बाद चेते अ़फसरों ने कम्पनि के कार्यो पर निगाह दौड़ाई तो स्थिति नाजुक मिली। मानक के अनुसार 1200 उपभोक्ताओं पर एक मीटर रीडर की तैनाती होनी चाहिए थी। इस हिसाब से लगभग 60 मीटर रीडर महानगर में लगाए जाने चाहिए थे, लेकिन कम्पनि यह कार्य महज 53 मीटर रीडर्स से करा रही थी, जिससे बिलिंग का अनुपात भी कम था। बताया जाता है कि लगभग 80 ह़जार उपभोक्ताओं में से मीटर रीडर्स लगभग 68 ह़जार के ही बिल बना पा रहे थे। विभाग ने सुधार के निर्देश दिए, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा। इसके बाद बिजली विभाग ने रुख कड़ा करते हुए भूतपूर्व सैनिकों को मैदान में उतारने का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया। प्रस्ताव झाँसी से निकलकर लखनऊ तक पहुँचा, तो कम्पनि अधिकारियों के होश फाख्ता हो गए और गाड़ी पटरी पर आने लगी। अधीक्षण अभियन्ता राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि कम्पनि द्वारा 58 कर्मचारियों से बिलिंग कराई जाने लगी है। इस माह कम्पनि ने 75,543 उपभोक्ताओं के बिल बनाए हैं। हालात में सुधार होता देख विभाग ने फिलहाल बिलिंग कम्पनि को हटाने के ़फैसले से ़कदम पीछे खींच लिए हैं।


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