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संगीत महाकुम्भ में डुबकी लगा रहा महानगर

झाँसी : प्रभु श्री रामलाल संगीत महाविद्यालय द्वारा श्री लक्ष्मी व्यायाम मन्दिर इण्टर कॉलिज में आयोजि

By Edited By: Published: Thu, 30 Oct 2014 01:30 AM (IST)Updated: Thu, 30 Oct 2014 01:30 AM (IST)
संगीत महाकुम्भ में डुबकी लगा रहा महानगर

झाँसी : प्रभु श्री रामलाल संगीत महाविद्यालय द्वारा श्री लक्ष्मी व्यायाम मन्दिर इण्टर कॉलिज में आयोजित संगीत सम्मेलन के अन्तर्गत हुई दो दिवसीय प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किए गये। काँगड़ा (हिमाचल प्रदेश) से आए स्वामी विजयपुरी ने सभी विजेताओं को पुरस्कार व प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किये।

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शिशु वर्ग : भजन गायन में मुक्ति सोनी प्रथम व पलक सिंह द्वितीय, शास्त्रीय गायन में अभिप्रेरणा रॉय व कत्थक में भाव्या कंचन को विशेष पुरस्कार मिला।

बाल वर्ग : भजन गायन में सलोनी झा व रिमझिम अग्रवाल, शास्त्रीय गायन में पूर्वी भालेराव व महेरसा राज, कत्थक में रिमझिम अग्रवाल व सलोनी झा, तबला वादन में चन्द्रप्रकाश व उदित राज क्रमश: प्रथम व द्वितीय रहे।

किशोर वर्ग : भजन गायन में दिव्यांशु खरे व राहुल विश्वकर्मा, शास्त्रीय गायन में मौलश्री गर्ग व शक्ति सोनी, तबला वादन में रोहित कुमार व अविनाश रजावत, सामूहिक लोकनृत्य में सलोनी व पार्टी और अंशिका बोहरे व पार्टी क्रमश: प्रथम व द्वितीय रहे। ठुमरी में अमित कुमार राणा को विशेष पुरस्कार दिया गया।

युवा वर्ग : शास्त्रीय गायन में सुदीप सिंह व अंकुर चतुर्वेदी, बाँसुरी वादन में अभिमन्यु हर्षे व भारतभूषण खरे, ठुमरी में इन्दु ठाकुर व आरती यादव, तबला वादन में राज विजय सिंह व शिवम तिवारी, सामूहिक लोकनृत्य में महेन्द्र कुमार व पार्टी और श्रद्धा साहू व पार्टी क्रमश: प्रथम व द्वितीय रहे। कत्थक में अंजलि वर्मा को विशेष पुरस्कार मिला एवं ग़जल गायन में ईशानी, सुधांशु शुक्ला, शरद कनौजिया संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रहे व इन्दु ठाकुर ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।

इसके बाद शाम को आरम्भ हुए संगीत समारोह में वर्षो से संगीत साधना में लिप्त संगीतज्ञों ने प्रस्तुतियाँ दीं। सम्मेलन का शुभारम्भ शास्त्रीय गायक हरिराम वर्मा की सरस्वती वन्दना से हुआ। इसके बाद श्याम मास्टर की संगत पर सरजू शरण पाठक द्वारा दी गई सितार-वादन की प्रस्तुति ने समा बाँध दिया। रजनी अग्वेकर ने 'जानकी नाथ सहाय करे, तो कौन बिगार करे नर तौरो' गाकर मन मोह लिया। मैत्रेयी मजूमदार, चन्द्रिका मजूमदार, अरुणेश पाण्डेय की प्रस्तुतियों ने भी श्रोताओं को आनन्दानुभूति कराई। ख्याति प्राप्त कत्थक नृत्यांगना डॉ. हिमानी नारंग ने तीन ताल कत्थक प्रस्तुत किया व ठुमरी पर अभिनय प्रस्तुति की। सचिन शर्मा ने तबले पर व नितिन शर्मा ने हारमोनियम पर संगत दी। संगीत सम्मेलन का संचालन बृजभूषण झा ने किया। सह संयोजक दिनेश भार्गव ने बताया कि 30 अक्टूबर को शाम 4.30 से संगीत सम्मेलन आरम्भ होगा। अन्त में कृष्णकान्त झा ने आभार व्यक्त किया।

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हर वर्ष देते आए प्रस्तुति

झाँसी निवासी हरिराम वर्मा इस संगीत सम्मेलन में आरम्भ से लेकर अब तक लगातार 38 वर्षो से प्रस्तुति देते आए हैं। 13 वर्ष की उम्र से ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रहे हरिराम गायन, वादन व गीत-रचना के साथ-साथ बाहर दतिया गेट स्थित 'करह कुंज आश्रम' में संगीत की शिक्षा भी देते हैं। वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन कर 'संगीत सूर्य', 'संगीत गौरव', 'बुन्देलखण्ड गौरव' आदि उपाधियों से विभूषित हो चुके हैं। उन्हें दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में भूतपूर्व प्रधानमन्त्री स्व. इन्दिरा गाँधी द्वारा भी सम्मानित किया गया था। पविलियन हॉल के मंच पर उन्होंने राग 'झिझौटी' में स्वयं रचित वन्दना 'मैया दीजिए ऐसा वरदान, चरणों में लागे नित ध्यान' गाई। हारमोनियम पर जब उन्होंने 'राग भूपाली में छोटा ख्याल' व 'द्रुत लय में तराना' गाया, तो श्रोतागण सम्मोहित-से हो गये।

लुप्त न होने पाये सितार वादन

गरौठा तहसील के ग्राम खड़ौरा के सितार वादक सरजू शरण पाठक 'मैहर घराने' से हैं। उन्होंने अपने संगीतज्ञ पिता परशुराम पाठक से संगीत सीखा व अब स्वयं गुरकुल पद्धति से संगीत की नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं। उनके कई शिष्य दूरदर्शन व आकाशवाणी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वह ओरछा महोत्सव, आगरा सवाई, झाँसी महोत्सव समेत कई राष्ट्रीय स्तर की प्रस्तुतियाँ दे चुके हैं। वह खैर इण्टर कॉलिज (गुरसराँय) में संगीत विभागाध्यक्ष हैं व सितार वादन की लुप्त होती परम्परा को जीवन्त बनाये रखने हेतु पूर्णरूपेण समर्पित हैं। संगीत सम्मेलन में 'राग रागेश्वरी' में उनकी प्रस्तुति 'विलम्बित मसीतखानी, रजाखानी गत व झाला' ने पूरे हॉल को विभोर कर दिया।

बचपन से ही बजा रहे हैं तबला

झाँसी निवासी सचिन शर्मा ने मंच पर 'अठारह मात्रा की मत ताल' देकर उपस्थित सभी लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। बचपन से ही तबला सीख और बजा रहे सचिन राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर 'तबला श्री' व 'संगीत रत्‍‌न' समेत कई अलंकार प्राप्त कर चुके हैं। संगीत-साधना व लगन के माध्यम से वह संगीताकाश में नई ऊँचाइयाँ छूने का निरन्तर प्रयास कर रहे हैं।


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