2 रुपए ने कटवाये 5 साल चक्कर, रेलवे ने गँवाए लगभग 5 लाख
- बसई उप स्टेशन अधीक्षक के विरुद्ध विजिलेन्स केस का मामला - विजिलेन्स ने भी कर दी थी गलती, संसद की
- बसई उप स्टेशन अधीक्षक के विरुद्ध विजिलेन्स केस का मामला
- विजिलेन्स ने भी कर दी थी गलती, संसद की कार्रवाई का हुआ उल्लंघन
- 1 साल तक यात्रियों से वसूलते रहे 1 रुपया अतिरिक्त
झाँसी : लगभग 5 वर्ष पहले विजिलेन्स द्वारा की गई कार्रवाई पर फैसला आने से कई रोचक बातें सामने आ गई हैं। सबसे पहली खास बात यह कि रेलमन्त्री द्वारा यात्रियों के हित में दी गई रियायत का फायदा यात्रियों को एक साल तक नहीं मिल सका। दूसरी, मात्र 2 रुपए के पीछे बने इस केस में 5 साल तक भागादौड़ी हुई, जिससे रेलवे को खासा नु़कसान झेलना पड़ा। तीसरी, इस केस के कारण विजिलेन्स एक अवॉर्ड से वंचित रह गई। आखिरी, इतने समय के बाद भी केस का ़फैसला निन्दा के रूप में हुआ।
मामला बसई रेलवे स्टेशन का है। 10 अपै्रल 2009 को विजिलेन्स की एक टीम जाल बिछाकर कार्रवाई करने की योजना से यहाँ पहुँची। टीम ने देखा कि टिकिट बाँट रहे उप स्टेशन अधीक्षक केके अहिरवार बसई से नई दिल्ली तक की टिकिट 103 रुपए में यात्रियों को दे रहे थे। टीम ने उप स्टेशन अधीक्षक को नियमों का हवाला देते हुए उन्हें 102 रुपए में टिकिट देने को कहा। उनके द्वारा यह कहने पर कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, तो विजिलेन्स ने उसी वक्त यात्रियों को 102 रुपए में टिकिट दिलायी व उनके विरुद्ध केस फाइल कर दिया। उसके बाद लगभग 1 साल तक यात्रियों से टिकिट के एवज में 102 रुपए वसूले जाते रहे। जिस समय यह चेकिंग की गई थी, उससे कुछ दिन पहले ही तत्कालीन रेलमन्त्री लालू प्रसाद यादव ने संसद में प्रस्ताव पारित कर हर टिकिट पर 1 रुपए कम करने का ऐलान किया था। इस हिसाब से टिकिट की नई दर 101 रुपए होनी चाहिए थी, पर जानकारी के अभाव में 1 वर्ष तक रेलयात्रियों से यह अतिरिक्त धनराशि वसूली जाती रही। इससे संसदीय फैसले के ख़्िाला़फ कार्य करने का मामला बन गया। इस मामले में उप स्टेशन अधीक्षक के बचाव में पैरवी कर रहे एचके मिश्रा ने यह दलील महाप्रबन्धक कार्यालय में रखी, तो सभी हक्के-बक्के रह गये। लगभग 5 वर्ष तक चले इस केस में रेलवे की ओर मिलने वाले यात्रा पास, 510 रुपए रो़जाना भत्ता, 12 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से स्टेशन से महाप्रबन्धक कार्यालय, वहाँ से स्टेशन व स्टेशन से घर तक का यात्रा भत्ता, कई गवाहों की इलाहाबाद में हा़िजरी से रेलवे को लगभग 5 लाख रुपए का नु़कसान हुआ। केस का फैसला अब जाकर उप स्टेशन अधीक्षक के सर्विस रिकॉर्ड में निन्दा से सम्बन्धित पेनाल्टि के रूप में किया गया है। एचके मिश्रा के मुताबिक इस केस में कार्रवाई के सिर्फ दो प्राविधान हैं। पहला कर्मचारी को सेवा से हटाना व दूसरा अनिवार्य सेवानिवृत्ति। इन दोनों में से कोई कार्यवाही नहीं की गई है।