सेहत न बिगाड़ दे दीवाली का धूम-धड़ाका
0 हद पार कर जाता है ध्वनि व वायु प्रदूषण झाँसी : रोशनी के पर्व दीपावली पर पटाखों का शोरगुल कहीं त
0 हद पार कर जाता है ध्वनि व वायु प्रदूषण
झाँसी : रोशनी के पर्व दीपावली पर पटाखों का शोरगुल कहीं तबियत खराब न कर दे। दरअसल, इन से निकलने वाला धँुआ हवा को ़जहरीला बना देता है, तो तेज आवा़ज पहले से ही बढ़ चुके ध्वनि प्रदूषण को हद के पार पहुँचा देता है। यकीन न हो तो प्रदूषण विभाग द्वारा बीती दीपावली व उससे पहले की गई प्रदूषण की जाँच रिपोर्ट देखें। विभाग ने तीन स्थानों पर मशीन लगाकर जाँच की, तो परेशान करने वाले रिजल्ट सामने आए।
दीपावली पर लोगों में आतिशबाजी चलाने की होड़ रहती है। हर कोई एक-दूसरे से ज़्यादा धूम-धड़ाका करने की कोशिश करता है। इस प्रतिस्पर्धा में लोग एक ही दिन में लाखों रुपए धँुआ में उड़ा देते हैं। नुकसान सिर्फ पैसे का ही नहीं होता है, स्वास्थ्य का भी हो सकता है। पिछली दीपावली से पहले विभाग ने इलाइट चौराहे पर मशीन स्थापित कर जाँच की। दीपावली से छह दिन पहले 29 अक्टूबर 2013 को वहाँ 186.62 एसपीएम वायु प्रदूषण पाया गया। 3 नवम्बर 2013 को दीपावली वाले दिन इसकी मात्रा 223.55 एसपीएम पर पहुँच गई। सामान्यत: 200 एसपीएम तक की मात्रा को घातक नहीं माना जाता है, लेकिन दीपावली के पटाखों से निकले धँुआ ने 23.55 एसपीएम की वृद्धि कर दी, जो सेहत के लिए नुकसानदेह मानी जाती है। ध्वनि प्रदूषण की जाँच के लिए विभाग ने तीन श्रेणी में स्थानों का चयन किया। व्यवसायिक जोन में इलाइट, शान्त जोन में मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी व आवासीय श्रेणी में शिवाजीनगर पर वॉइस मॉनीटिरिंग मशीन लगाते हुए जाँच की। तीनों ही स्थानों पर दीपावली से पहले ही मानक से अधिक ध्वनि प्रदूषण पाया गया, जबकि दीपावली वाले दिन तो हालात ख़्ातरनाक स्थिति तक पहुँच गए। सहायक वैज्ञानिक अधिकारी प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड डॉ. माधुरी कमलवंशी ने बताया कि आतिशबाजी से वातावरण में कॉर्बन डाई-ऑक्साइड के साथ ही अन्य जहरीले तत्वों की मात्रा काफी बढ़ जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। ध्वनि प्रदूषण भी मानक से अधिक होने पर कई बीमारियों का कारण बनता है। उन्होंने खुले स्थान जैसे बगीचा, पार्क, छत आदि पर कम आवा़ज के पटाखे चलाने की सलाह दी है। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ.रमेश चन्द्रा ने बताया कि आतिशबाजी से निकलने वाला धुँआ साँस की बीमारी में बहुत ही घातक होता है। इससे फेफड़ों को भी नुकसान पहुँचता है, जबकि ध्वनि प्रदूषण अगर मानक से अधिक हो, तो कानों की श्रवण शक्ति प्रभावित होने का ख़्ातरा बना रहता है।
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क्या हाल होगा शहर का?
प्रदूषण नियन्त्रण विभाग द्वारा शान्त जोन में मेडिकल कॉलेज तथा व्यवसायिक जोन में इलाइट चौराहा पर प्रदूषण की जाँच की है। अगर यही जाँच ़िजला चिकित्सालय व मानिक चौक में की जाती, तो स्थिति और भी विस्फोटक होती। ़िजला चिकित्सालय भी शान्त जोन में है, लेकिन वहाँ प्रदूषण काफी अधिक रहता है। आस-पास बस्ती होने के कारण दीपावली पर तो वहाँ का शोर असहनीय हो जाता है। शहर, सीपरी आदि क्षेत्रों में भी पटाखों की गूँज लोगों के कानों को सुन्न कर देती है।
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दीपावली वाले दिन व पहले लिए गए आँकड़े
मेडिकल कॉलेज की इमरजेन्सी (शान्त जोन)
मानक : दिन में 50 डीबीए, रात में 40 डीबीए
दीपावली से पहले : 62.52 डीबीए
दीपावली वाले दिन : 67.97 डीबीए
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इलाइट चौराहा (व्यवसायिक जोन)
मानक : दिन में 65 डीबीए, रात में 55 डीबीए
दीपावली से पहले : 73.35 डीबीए
दीपावली वाले दिन: 83.32 डीबीए
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शिवाजी नगर (आवासीय जोन)
मानक : दिन में 55 डीबीए, रात में 45 डीबीए
दीपावली से पहले : 66.50 डीबीए
दीपावली वाले दिन: 72.20 डीबीए
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यह बरतें सावधानी
0 कम से कम आतिशबाजी चलाएं।
0 शोर करने वाले पटाखों से बचें।
0 आतिशबाजी का उपयोग खुले स्थान पर ही करें।
0 बच्चों को आतिशबाजी से दूर रखें।
0 आतिशबाजी चलाते समय आँखों का विशेष ख्याल रखें।
0 पटाखे कक्ष में रखें और एक-एक कर बजाएं।
फाइल : 2 : राजेश शर्मा
20 अक्टूबर 2014
समय : 6.45 बजे