झाँसी पर गर्व है रवीना को
- बचपन में आती थीं पापा के साथ झाँसी : हीरे जड़े गहनों से भरा एक शो-रूम..बाहर किसी नगीने के स्वागत
- बचपन में आती थीं पापा के साथ
झाँसी : हीरे जड़े गहनों से भरा एक शो-रूम..बाहर किसी नगीने के स्वागत में गुब्बारों और फूलों की भव्य सजावट..इन्त़जार में बेचैन कई जोड़ी निगाहें..वो अब आई कि अब आई.. और आखिर वो आई!
यहाँ '़जायरा डायमण्ड' शोरूम का उद्घाटन करने आई सिने अभिनेत्री रवीना टण्डन हल्के गुलाबी रंग के सलवार-सूट में खूबसूरत लग रही थीं। हीरों-सी चमकती उनकी आँखों में झाँसी से जुड़ी कुछ बचपन की यादें झिलमिलाती दिखीं, जिन्हें उन्होंने पत्रकारों के साथ बाँटा भी। उद्घाटन के बाद अपने व्यस्त शिड्यूल में से समय निकाल कर रवीना कुछ देर पत्रकारों से मुखातिब हुई। उन्होंने बताया कि उनके पापा का घर आगरा में होने के कारण बचपन में पापा के साथ उनका झाँसी भी आना-जाना रहा। उन्होंने कहा- 'जिस जगह रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना ने जन्म लिया, मुझे उस झाँसी पर गर्व है। जब मैं 7-8 साल की थी, तब पापा मुझे कई बार यहाँ लेकर आये। वह हमेशा मुझे यहाँ के इतिहास के बारे में बताया करते थे। आज वे सभी यादें ता़जा हो गई और मैं भावुक भी हो रही हूँ। झाँसी के लोगों का प्यार देख कर बहुत अच्छा लग रहा है। छोटे में तो कई बार आई, मगर कभी सोचा नहीं था कि बड़े होने के बाद इस तरह आना होगा। जब पता चला कि उद्घाटन के लिये झाँसी जाना है, तो बड़ा रोमांच महसूस हुआ।'
सिविल लाइन्स स्थित शोरूम के आसपास की बिल्डिंग्स की छतों पर चढ़े लोग रवीना की एक झलक पाने को बेताब थे। शोरूम के बाहर स्वागतोत्सुकों की भीड़ देखने लायक थी। सुरक्षा की दृष्टि से सशक्त पुलिस-व्यवस्था की गई थी। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद रवीना जब वापसी के लिए पुलिस लाइन स्थित अस्थायी हैलिपेड पर पहुँची, तो वहाँ भी उनके चहेतों की भीड़ इकट्ठी हो गई। हेलिकॉप्टर में बैठ कर वह उड़ चलीं और उपस्थित सभी लोगों ने हाथ हिला कर उन्हें विदा दी।