मतदान करने को तैयार हुए 20 गांवों के 3497 किसान
जागरण संवाददाता, जौनपुर : मतदान बहिष्कार का एलान करने वाले 20 गांवों के 3497 किसानों ने अपना निर्णय
जागरण संवाददाता, जौनपुर : मतदान बहिष्कार का एलान करने वाले 20 गांवों के 3497 किसानों ने अपना निर्णय वापस ले लिया है। यह सब निर्वाचन आयोग की पहल पर हुआ। इन गांव के किसानों ने बताया कि उनकी दो मांगों को गंभीरता से लिया गया। जिलाधिकारी के तबादले के साथ-साथ इन्हें उचित मुआवजा दिलाने का भी आश्वासन दिया गया है। जिसके कारण वे अब आठ मार्च को मतदान करने का निर्णय लिए है।
इन किसानों की वाराणसी-आजमगढ़ राज मार्ग को फोर लेन बनाने के लिए जिले की सीमा में 182 हेक्टेयर भूमि जा रही है। जिसके लिए प्रशासन द्वारा मुआवजा दिया जा रहा था, जो किसानों के हिसाब से कम था और वे मुआवजा देने में भेदभाव का आरोप लगा रहे थे। इसे लेकर वे चुनावी बेला में आंदोलन शुरू कर दिए थे।
एनएच 233 के निर्माण की मांग कई वर्षाें से चल रही है, जिसके उम्मीद की किरण वर्ष 2012 में तब जगी जब निर्माण हेतु गजट किया गया। इस गजट के मुताबिक फोर लेन केराकत तहसील क्षेत्र के 20 गांवों होकर गुजरेगा, जिसमें इन गांवों के 3497 किसानों की 182 हेक्टेयर भूमि जा रही है। इस भूमि के अधिग्रहण हेतु प्रकाशित गजट के मुताबिक सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा संबंधित किसानों को दिया जाना हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से यह संभव नहीं हो सका, जिसके कारण फोर लेन का कार्य प्रक्रियाओं में उलझ गया।
स्थिति यह हुई की इस प्रक्रिया को पटरी पर लाने में चार वर्ष गुजर गए, जिसके बाद अवार्ड की अब प्रक्रिया शुरू हुई की संबंधित किसान विरोध करते हुए प्रशासन के खिलाफ मुखर हो गए। इनका आरोप था कि प्रशासन उन्हें मौजूदा सर्किल रेट के न्यूनतम मूल्य का चार गुना ही मुआवजा दे रहा है, जबकि नियम हैं कि सर्किल रेट के अधिकतम से चार गुना मुआवजा दिया जाए।
वहीं प्रशासन किसानों की इस मांग को लेकर परेशान रहा। वर्ष 2012 में भूमि के निर्धारित तीन सर्किल रेट के मूल्य के कारण आजमगढ़ प्रशासन ने रास्ता निकाल लिया, जो यहां नहीं बन पा रहा हैं। इसके पीछे की वजह तत्कालीन जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी बताते रहे कि यहां वर्ष 2012 में भूमि का दो ही तरह से सर्किल रेट तय किया गया था, जिसके हिसाब से ही मुआवजा दिया जाना हैं, हालांकि किसान हित को देखते हुए अवार्ड की प्रक्रिया रोकर रास्ता खोजा जाने लगा। लेकिन यह रास्ता प्रशासन को नहीं मिला।
ऐसे में किसान विधानसभा चुनाव को नजदीक देखते हुए आंदोलन की राह पकड़ लिए। वाराणसी और आजमगढ़ जिले की सीमा से 6-6 किमी मौन जुलूस निकालकर अपने ताकत का अहसास कराया। निर्वाचन आयोग में भी मतदान न करने का पत्रक दिया। इसके अलावा यूएसए, यूके, डेनमार्क, कनाडा आदि विदेशी देशों में बसे हितबद्ध किसानों से भी समर्थन मांगा। आक्रोशित किसान उचित मुआवजा की मांग और जिलाधिकारी पर आरोप लगाते हुए उनके तबादले की मांग करने लगे।
आंदोलन की अगुवाई करने वालों में शामिल राजेंद्र प्रसाद ¨सह ने बताया कि निर्वाचन आयोग से मतदान के चंद दिन पहले हटाए गए जिलाधिकारी और गांव में पहुंचे केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री डा. महेंद्र नाथ पांडेय के आश्वासन पर सभी किसान संतुष्ट हुए। साथ ही आयोग को पूर्व में दिए गए आश्वासन पर मतदान करने को तैयार हुए।
इन गांवों से गुजर रहा फोर लेन
एनएच 233 के निर्माण हेतु वर्ष 2012 में गजट किया गया, जिसके मुताबिक जिले में यह फोर लेन 20 गांवों से होकर गुजर रही है, जिसमें कनौर, मुर्खा, अइलिया, आराजी अइलिया, विशुनपुर लेवरुवा, लेवरुवा, बिहरदर, सिधौनी, खुज्जी, रामदेवपुर, चंदवक, हरिदासीपुर, रामगढ़, परसूपुर, बलुवा, बीरभानपुर, आराजी बलुआ, बरईछ, परसौड़ी, फरीदपुर गांव शामिल हैं।