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जनसंघी हवेली में तो कांग्रेसी ठहरते थे हिन्दी भवन में

By Edited By: Published: Sun, 29 Jan 2012 10:04 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jan 2012 10:04 PM (IST)
जनसंघी हवेली में तो कांग्रेसी ठहरते थे हिन्दी भवन में

जौनपुर: 60 के दशक में शहर में होटल और लाज नहीं के बराबर थे। नेताओं में राजनैतिक नैतिकता इतनी थी कि वे पद का दुरुपयोग करके सरकारी गेस्ट नहीं बनते थे। वे निरीक्षण गृह में भी नहीं टिकते थे। उस समय कांग्रेस और जनसंघ का ही बोलबाला था। जनसंघ के नेता राजा की हवेली में पड़ाव डालते थे तो कांग्रेस के नेता हिन्दी भवन में रुक कर चुनाव प्रचार करते थे।

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यह भी सच है कि 60 के दशक में ही जनसंघ के कई दिग्गज यहां पार्टी अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय के चुनाव प्रचार में आये। उसके बाद भगवा पार्टी के इतने नेता एक सत्र में कभी नहीं आ सके। नानाजी देशमुख, बलराज माधोक, अटल बिहारी वाजपेयी समेत कई संघ के वरिष्ठ नेता एक साथ अथवा अलग-अलग आकर यहां पार्टी प्रत्याशी का प्रचार करते थे। कई-कई दिनों तक उन्हें यहां राजा साहब की हवेली में ही रुकना पड़ता था। वहीं रात विश्राम के बाद सुबह फिर पैदल या साइकिल से लोग निकल पड़ते थे। हवेली को संघ/जनसंघ का गेस्ट हाउस कहा जाने लगा था।

इसी तरह कांग्रेस के पं.गोविन्द वल्लभ पंत, चन्द्रभान गुप्त, आचार्य कृपलानी जैसे लोग जब आते थे तो वे हिन्दी भवन में ही रुकते थे। वे प्रचार कार्य का संचालन भी यहीं से करते थे। यदि ये नेता चाहते तो लोनिवि के डाक बंगले में भी ठहर सकते थे परन्तु नैतिकता के नाते ऐसा नहीं कर रहे थे।

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