Move to Jagran APP

पति ने मान बेचा, पिता ने स्वाभिमान

जागरण संवाददाता, जौनपुर : दीवानी न्यायालय में केराकत थाना क्षेत्र से आए एक मामले ने समाज व सिस्टम पर

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Jun 2017 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jun 2017 01:00 AM (IST)
पति ने मान बेचा, पिता ने स्वाभिमान
पति ने मान बेचा, पिता ने स्वाभिमान

जागरण संवाददाता, जौनपुर : दीवानी न्यायालय में केराकत थाना क्षेत्र से आए एक मामले ने समाज व सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए। पति व पिता सहित ससुराल पक्ष के कई लोगों पर मुकदमा दर्ज कराने की मांग करने वाली विवाहिता ने आरोप लगाया कि पति ने चंद रुपये के लिए उसे दोस्तों के सामने परोस दिया। इज्जत बचाने जब वह भागकर मायके पहुंची तो पिता ने मदद करने की जगह उसकी उम्मीदें तोड़ दीं। ससुरालवालों की आज्ञा का पालन करने की हिदायत के साथ पिता ने उसे फिर पति के पास भेज दिया। इस पर उसने कोर्ट की शरण लेते हुए पति, पिता, सास, ससुर व ननद पर मुकदमा दर्ज करने की गुहार लगाई।

loksabha election banner

केराकत थानाक्षेत्र निवासी एक विवाहिता ने धारा 156 (3) के तहत अधिवक्ता उमानाथ के मार्फत कोर्ट से दरख्वास्त की है कि नाबालिग होने के बावजूद उसके माता-पिता ने उसकी इच्छा के विरुद्ध केराकत थाना क्षेत्र में ही शादी कर दी। शादी के बाद पति व ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करते थे। आरोप लगाया कि 28 मई 2017 को घर आए दो दोस्तों को पति ने रात में दो बजे उसके कमरे में भेज दिया।

उससे कहाकि रुपये कमाने के लिए तुम्हें दोस्तों के साथ संबंध बनाना पड़ेगा। उसने पहले ससुराल वालों से सारी बात बताई, जब उसकी किसी ने नहीं सुनी तब वह भागकर मायके पहुंची। लेकिन, पिता ने बेटी को परेशानी से निजात दिलाने की जगह पति व ससुराल वालों के अनुसार चलने की सलाह देते हुए घर से निकाल दिया। तब से वह दर दर भटक रही है। थाना व पुलिस अधीक्षक को आवेदन देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

उसने कोर्ट से पति, सास, ससुर, ननद व अपने पिता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.