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बंद चीनी मिल का मुद्दा भी तय करेगा चुनावी बयार का रुख

जागरण संवाददाता, शाहगंज (जौनपुर): आजादी से करीब डेढ़ दशक पूर्व वर्ष नगर के फैजाबाद मार्ग पर स्थापित

By Edited By: Published: Wed, 18 Jan 2017 10:43 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 10:43 PM (IST)
बंद चीनी मिल का मुद्दा भी तय करेगा चुनावी बयार का रुख
बंद चीनी मिल का मुद्दा भी तय करेगा चुनावी बयार का रुख

जागरण संवाददाता, शाहगंज (जौनपुर): आजादी से करीब डेढ़ दशक पूर्व वर्ष नगर के फैजाबाद मार्ग पर स्थापित रत्ना शुगर मिल पूर्वांचल की पहली चीनी मिल थी। इससे जहां एक ओर क्षेत्र का गौरव बढ़ा। वही इससे व्यापार के तमाम अवसर भी पैदा हुए। स्थानीय नगर को पूर्वांचल के व्यापार का हृदयस्थली कहा जाने लगा। अब हालात बदल चुके हैं और चीनी मिल बंद पड़ी है। क्षेत्र के इस गौरव के भविष्य पर काली धुंध की छाई है। नगदी की फसल गन्ना की खेती करने वाले किसान भी व्यथित हैं। अब उनकी उनकी आंखों में सुनहरे सपने नहीं सजते। अब बंद पड़ी चीनी मिल को चालू करने का मुद्दा विधानसभा के चुनाव के बयार का रुख तय करेगा।

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वाराणसी के व्यापारिक घराने ने स्थापित की थी चीनी मिल

वर्ष 1933 में स्थापित हुआ रत्ना शुगर मिल आज अपनी दुर्दशा की गवाही दे रहा है। बंद पड़ी चीनी मिल के खंडहर अपने गौरवशाली इतिहास को बयां करते नजर आते हैं। मिल की स्थापना वाराणसी के व्यापारिक घराने से ताल्लुक रखने वाले राय प्रेमचंद्र ने की थी। इस मिल को पूर्वांचल की पहली चीनी मिल होने का गौरव प्राप्त है। यहां पर सड़क मार्ग के अलावा रेल मार्ग से भी पेराई के लिए गन्ना आता था। क्षेत्र के अलावा आजमगढ, सुल्तानपुर और अंबेडकर नगर से गन्ना पहुंचता था। इस मिल को घाटे के बाद वर्ष 1986 में बंद करके संचालक चले गए। गन्ना किसानों और मजदूरों का बकाया था। बकाया के भुगतान के लिए आंदोलन चला और 24 अप्रैल 1989 को उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया। इसके बाद से मिल का संचालन एक बार फिर शुरु हुआ। मिल कभी चलती तो कभी रुकती रही। घाटे दर घाटा उठा रही। इस चीनी मिल को सरकार ज्यादा समय तक नहीं चला सकी। वर्ष 2009 में तत्कालीन बसपा की सरकार ने माएलो इंफ्राटेक को बेच दिया। तबसे मिल बंद पड़ा है।

गन्ना बकाए का नहीं हो सका भुगतान

अधिग्रहण के पूर्व का करीब 70 लाख रुपया गन्ना किसानों का बकाया है। जिसका भुगतान आज तक नहीं हो सका। इस भुगतान को लेकर सरकार की मंशा साफ नहीं नजर आती। शायद यही वजह है कि अगर कहीं पर इस सवाल को उठाया जाता है तो इसको टालकर बात को आगे बड़ा दी जाती है। देखना होगा कि भुगतान भविष्य में हो पाता है या फिर भुगतान की आस अधूरी रह जाती है।

मिल के सौदे का मामला हाईकोर्ट में लंबित

चीनी मिल को प्रदेश सरकार द्वारा बेचे जाने के इस सौदे पर सवाल उठाते हुए मिल के मजदूर नेता प्रभानंद यादव ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है। इस रिट पर अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। प्रभानंद यादव कहते हैं कि इस खरीद - फरोख्त में तमाम अनियमितता बरती गई हैं। गन्ना किसानों और मजदूरों के हितों को लेकर उन्होंने न्यायालय की शरण ली है। उनका यह संघर्ष न्याय दिलाने तक जारी रहेगा।


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