प्रभु की भक्ति में बाधक बनने वाले का करें परित्याग
जागरण संवाददाता, बदलापुर (जौनपुर) : कथा वाचक अयोध्या से पधारे डा.उमादास महराज ने कहा कि प्रभु की भक्
जागरण संवाददाता, बदलापुर (जौनपुर) : कथा वाचक अयोध्या से पधारे डा.उमादास महराज ने कहा कि प्रभु की भक्ति में बाधक बनने वालों का तुरंत परित्याग कर देना चाहिए। उक्त बातें उन्होंने मंगलवार को कस्बे के बरौली गांव स्थित समाधी बाबा कुटी पर चल रही संगीतमय मानस कथा में श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहीं।
उन्होंने उदहारण देते हुए कहा कि प्रह्लाद ने पिता को, विभीषण ने भाई को, भरत ने मां को, बालि ने गुरु को तो गोपिकाओं ने अपने परिवार को प्रभु के पथ में बाधक बनने पर छोड़ दिया था। उन्होंने कहा ़िक मानव तन बड़ी मुश्किल से मिला है। अगर यह शरीर पाकर भी आवागमन के बंधन से मुक्त नहीं हुए तो फिर 84 लाख योनियों में भटकना पक्का है। उन्होंने कहा ़िक प्रभु की भक्ति के लिए ज्ञानी होने के बजाय प्रभु के चरणों में अनुराग जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता तो केवट, शबरी, जटायु को कहां प्रभु के दर्शन होते और उन्हें निर्मल भक्ति का वरदान न मिलता।
उन्होंने कहा कि प्रभु का अवतार लेने का प्रमुख कारण अपने भक्तों पर दया करना है। जिससे वे भव सागर से मुक्त हो सकें। उन्होंने भगवान राम के प्रकट होने के कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके आते ही भक्तों में आनंद का वातावरण आ गया तो असुर दु:खी हो उठे। उन्होंने कहा कि दयालु प्रभु के लिए भक्तों का हित सर्वोपरि है, बस उन्हें प्रेम से याद करने की जरूरत है। वे अपने भक्तों में दुर्गुण नहीं देखते है। इस अवसर पर महाबीर यादव, श्याम सुंदर ¨सह, सीताराम यादव, विनोद शर्मा, प्रमोद ¨सह उपस्थित रहे। अंत में बाबा केशवदास ने आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया।