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एक मुश्त बांटा हौसला पोषण मिशन का घी

कई गांवों में बेपटरी है योजना, लाभार्थियों तक नहीं पहुंचे जिम्मेदार जौनपुर: गर्भवती महिलाओं और

By Edited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 07:13 PM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 07:13 PM (IST)
एक मुश्त बांटा हौसला पोषण मिशन का घी

कई गांवों में बेपटरी है योजना, लाभार्थियों तक नहीं पहुंचे जिम्मेदार

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जौनपुर: गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों के लिए बनी हौसला पोषण मिशन योजना शासनादेश के विपरीत चल रही है। रोजाना दिए जाने वाले घी को एक बार में ही बांट दिया गया। कई गांवों में योजना कागज पर ही चल रही है। शासनादेश के तहत

बच्चों व महिलाओं को पोषण देने का मानक तय किया गया है, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा। जुलाई माह की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 22605 अति कुपोषित बच्चे व 63447 गर्भवती महिलाएं हैं। 3 अगस्त को शुरू हुई इस योजना के तहत 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों को रोजाना आंगनबाड़ी केंद्र से 20 ग्राम देशी घी, 1 मौसमी फल व गर्म पका-पकाया भोजन दिया जाना है। यह बच्चे केंद्र तक नहीं पहुंचते। इसलिए सारी सामाग्री लाभार्थी के घरों तक पहुंचाने का प्रावधान किया गया है। केंद्र तक पहुंचने वाले 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को भी उपरोक्त तीनों सामाग्री के साथ बिस्कुट या लाई-चना दिया जाना है। गर्भवतियों को प्राथमिक विद्यालय में बनने वाला मध्याह्न भोजन, 1 मौसमी फल, आयरन की गोली व सप्ताह में तीन बार दही दिए जाने का निर्देश है। इसकी जिम्मेदारी संयुक्त रूप से ग्राम प्रधान व आंगनबाड़ी को सौंपी गई है। दूध से निर्मित सामानों की आपूर्ति पराग डेयरी को मिली है।

कागज पर दौड़ रही योजना

कागजों पर तो योजना बखूबी दौड़ रही है, लेकिन जमीन पर ग्रामीणों को नहीं पता। करंजाकला ब्लाक के कलीचाबाद, दरबानीपुर, हंकारीपुर, सिकरारा ब्लाक के अलीगंज समेत कई गांव के लोगों को आज तक इस योजना का लाभ नहीं मिल सका। विभाग का दावा है कि सभी गांवों में सामाग्री पहुंचा दी गई है। जहां वितरण हुआ भी तो शासनादेश के विपरीत ही हुआ। बच्चों को रोजाना दिए जाने वाले देशी घी को एक बार में ही मुहैया करा दिया गया। इससे महीने भर चलने वाला घी कुछ दिनों में ही खत्म हो जाने की संभावना होगी।

रोजाना घी बांटना मुमकिन नहीं :बाल विकास अधिकारी

बाल विकास परियोजना अधिकारी पवन यादव का कहना है कि रोजाना 20 ग्राम घी दे पाना मुमकिन नहीं। इसलिए एक मुश्त बच्चों व परिजनों के हवाले कर दिया गया। प्रत्येक गांव में पोषण सामाग्री पहुंचा दी गई है। कुछ ग्राम प्रधानों के खाते नहीं खुल पाने से असुविधा हो रही है।


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