जुगाड़ के स्कूल वाहनों पर लगाम नहीं
जौनपुर : अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर गली-कूचों में खुले विद्यालय संचालकों द्वारा न सिर्फ अभिभावकों का
जौनपुर : अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर गली-कूचों में खुले विद्यालय संचालकों द्वारा न सिर्फ अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है बल्कि मानक को दरकिनार कर खटारा वाहनों से बच्चों को ढोया जाता है। अधिकांश वाहन तो महानगरों से रिजेक्ट हैं। इनका हार्न छोड़कर बाकी सब कुछ बजता रहता है। फटे व घिसे टायर रास्ते में कब दगा दे दें कोई गारंटी नहीं रहती है। इतना ही नहीं टूटे शीशे, जर्जर बाडी व गेट के चलते छात्र घायल होते रहते हैं। अप्रशिक्षित चालकों के हाथ कमान सौंपने के कारण वाहनों के पलटने, टकराने की आए दिन घटनाएं हो रही हैं। तमाम वाहनों में तो छोटे-छोटे बच्चों को ठूंसकर भरा जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद शासन द्वारा अनफिट वाहनों के स्कूल में संचालन पर रोक के कड़े आदेश हैं। चेतावनी का विद्यालय संचालकों पर असर नहीं है। वाहनों में जहां ठूंसकर बच्चों को ले जाया जा रहा है वहीं डग्गामार वाहनों का संचालन अपनी गति से जारी है।
परिवहन विभाग जिन वाहनों को अयोग्य घोषित कर परमिट देने से मना कर देता है उसे कई विद्यालयों में छात्रों को ढोने में प्रयोग किया जाता है। इन वाहनों को चलाने वाले भी बहुसंख्य अप्रशिक्षित, नशेड़ी व अयोग्य होते हैं। बस मालिक कम वेतन में इन्हें रखते हैं। बच्चों का भविष्य संवारने की लालसा में अभिभावक खतरा मोल लेते हैं। वहीं बच्चों को खड़ा कर ले जाया जा रहा है। इतना ही नहीं कोई भी मानक वाहनों में नहीं पूरा किया गया है। जिले के कई बड़े विद्यालय डीजल महंगा होने का हवाला देकर मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं।
गली-कूचों में चल रहे कान्वेंट स्कूलों में आटोरिक्शा व जीप से भी बच्चों को ढोया जा रहा है जो पूरी तरह असुरक्षित है। वाहन के थोड़ा सा असंतुलित होने पर छोटे-छोटे बच्चों के गिरने का खतरा बढ़ जाता है वहीं जर्जर वाहनों का टायर, ब्रेक, स्टेय¨रग कहां जवाब दे दे कोई गारंटी नहीं रहती। अभिभावक बच्चों के घर वापस सुरक्षित लौटने को लेकर सशंकित रहते हैं।
स्कूल वाहनों में यह है जरूरी
स्कूल वाहन 15 साल से पुराना न हों। वाहनों पर आगे-पीछे विद्यालय का संपर्क नंबर और गाड़ी के पीले रंग से रंगी होना आवश्यक है। इसके अलावा वाहन में जाली, बच्चों के बैठने वाले सीट में हैंडरेस्ट, बैग और बाटल टांगने के लिए हुक, प्राथमिक उपचार की व्यवस्था, अलार्म, चालक के अतिरिक्त मोटर बैंकिल का जानकार होना जरूरी होता है।
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-- विद्यालयों को नोटिस देकर एक सप्ताह का समय दिया जाएगा कि वह वाहनों के कागजात का परीक्षण करा लें। नियमों की जानकारी से भी अवगत हो जाएं। इसके बाद बृहद अभियान चलाकर मानक के विपरीत चलने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-सौरभ कुमार, एआरटीओ प्रवर्तन