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मौत की कहानी सुलझाने को रिवाल्वर की तलाश

जौनपुर : भदोही के ठेकेदार और बेटी के दुष्कर्म के आरोपी रमाशंकर पाल (48) के मौत की कहानी अभी भी रहस्य

By Edited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 09:36 PM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 09:36 PM (IST)
मौत की कहानी सुलझाने को रिवाल्वर की तलाश

जौनपुर : भदोही के ठेकेदार और बेटी के दुष्कर्म के आरोपी रमाशंकर पाल (48) के मौत की कहानी अभी भी रहस्यों से भरी मानी जा रही है। यह तभी सुलझेगी जब उनकी लाइसेंसी रिवाल्वर जीआरपी के हाथ लगेगी। हालांकि आत्महत्या मानने वाली जीआरपी की टीम भी गायब रिवाल्वर की तलाश में जुट गई है। इसके लिए अपने सूचना तंत्रों का सहारा ले रही है। अब देखना यह है कि कब और कैसे सफल होती है और क्या सही कहानी सामने आती है।

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जौनपुर जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर पांच पर बुधवार की रात मिले ठेकेदार के शव की जांच में जुट गई है। थानाध्यक्ष के मुताबिक पीएम रिपोर्ट में भी नजदीक से दाहिने कनपट्टी में गोली मारने की बात सामने आ रही है, जो सुसाइट नोट के बाद आत्महत्या की ओर सीधा इशारा कर रही है, ¨कतु इन सब पर सवाल उठा रही है वह रिवाल्वर जिसने रमाशंकर की जान ली। यह अलग बात है कि थानाध्यक्ष उस रिवाल्वर को परिजनों का हवाला देते हुए लाइसेंसी बता रहे हैं लेकिन अभी तक इस बात का उनके हाथ पुख्ता सबूत नहीं मिला है कि वह लाइसेंसी थी या नहीं। वजह परिजन रिवाल्वर नंबर आदि का ब्यौरा नहीं दे पाए। वहीं रमाशंकर की दो शादी, पेशा, आरोप भी घटना स्थल के साथ-साथ गायब रिवाल्वर के चलते सवालों पर सवाल खड़ा कर रही है।

साढू से कहा था, आपसे कर रहा हूं आखिरी बात

रमाशंकर पाल ने बुधवार की देर शाम करीब सात बजे अपने साढ़ू जटाशंकर को फोन किया था। इसमें इतना कहा कि मैं अब सामाजिक रूप से टूट चुका हूं। अब मैं आपसे आखिरी वार्ता कर रहा हूं, कहकर फोन काट दिया था। यह बात थानाध्यक्ष की जांच के दौरान सामने आई।

..तो रमाशंकर ने तैयार किया था तीन सुसाइड नोट

रमाशंकर की मौत के बाद तीन स्थानों पर सुसाइड नोट मिले है। यह सुसाइड नोट लखनऊ, बनारस और घटनास्थल से मिला है। इसे कब्जे में लेने की कार्यवाही भी जीआरपी कर रही है। इसमें एक सुसाइड नोट उसके ससुराल में एक अटैची में रखी गई है जिसे जीआरपी की जांच के दौरान उसकी पत्नी ने बताया है। साथ ही उसने यहां तक कहा कि वह इस समय अस्पताल में भर्ती है। छुट्टी मिलते ही उसे लेकर वह खुद जीआरपी के पास आएगी। अब सवाल उठता है रमाशंकर को क्या ऐसी जरूरत पड़ी थी जो तीन स्थानों पर सुसाइड नोट में इन सब बातों का जिक्र किया।


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