खेत में डालें दस साल से कम प्रजाति का बीज
जौनपुर : रबी की खेती जोर-शोर से चल रही है। किसान खेत तैयार कर गेहूं की बोआई में जुटे हैं। कृषि विशेष
जौनपुर : रबी की खेती जोर-शोर से चल रही है। किसान खेत तैयार कर गेहूं की बोआई में जुटे हैं। कृषि विशेषज्ञ ने सलाह दिया कि दस साल से कम प्रजाति का बीज डालें। इससे 20 से 25 फीसद तक उत्पादन बढ़ जाएगा।
जनपद के अधिकांश किसान पुराने बीजों का प्रयोग करते हैं। बीज उपचारित न होने के कारण जहां जमाव ठीक से नहीं हो पाता वहीं फसल रोग की चपेट में आ जाती है। वहीं दस साल से अधिक पुराने बीज डालने से उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है।
घटती खेती के दायरे और बढ़ती आबादी के चलते खाद्यान्न संकट गहराने लगा है। इस समस्या से उबरने के लिए केंद्र व सरकार उत्पादन बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रही है। मिट्टी की जांच कर उन्नत प्रजाति का बीज डालने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अनुदान देने के बाद भी बड़ी संख्या में किसान फाउंडेशन व उन्नति प्रजाति के बीज नहीं डाल रहे हैं।
उप निदेशक कृषि अशोक उपाध्याय ने किसानों से आह्वान किया कि वह दस साल से कम प्रजाति के बीजों का प्रयोग करें। इससे 20 से 25 फीसद उत्पादन बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग के गोदामों पर पीवी डब्ल्यू 550, डीपी डब्ल्यू 621-50, डीवी डब्ल्यू-17 समेत कई प्रजातियों के बीज उपलब्ध हैं। तीन हजार रुपये प्रति ¨क्वटल की दर से दस साल से कम प्रजाति वाले इन बीजों पर सरकार द्वारा 1400 रुपये अनुदान दिया जा रहा है। योजना में पारदर्शिता के लिए अनुदान की धनराशि किसानों के सीधे खाते में जाएगी। इसके लिए पंजीकरण आवश्यक है। श्री उपाध्याय ने कहा कि पंजीकरण की अंतिम तिथि 30 नवंबर है। इस अवधि तक पंजीकरण कराकर योजना का लाभ लें।