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मणिपुर से लौटने वालों को पनाह देगा प्रशासन

जौनपुर : मणिपुर (इम्पाल) में उपद्रवियों के तांडव के चलते लगभग चार दशक से घर-बार बनाकर रह रहे लगभग अस

By Edited By: Published: Wed, 02 Sep 2015 10:14 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2015 10:14 PM (IST)
मणिपुर से लौटने वालों को पनाह देगा प्रशासन

जौनपुर : मणिपुर (इम्पाल) में उपद्रवियों के तांडव के चलते लगभग चार दशक से घर-बार बनाकर रह रहे लगभग अस्सी फीसद लोग भाग निकले। उपद्रवी वहां पर रह रहे दूसरे प्रांत के लोगों को बाहर निकालना चाहते हैं। जिसके लिए पिछले दो महीने से खूब तांडव किया। तोड़फोड़, मारपीट, आगजनी का आतंक इस कदर फैला दिया कि लोगों का घर से निकलना दूभर हो गया। कारोबार ठप पड़ जाने से लोगों के सामने रोटी के लाले पड़ गए। अब वहां से लौटने वाले लोगों को पनाह देने की तैयारी में जिला प्रशासन जुट गया है।

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खुटहन थाना क्षेत्र के अंगुली, मुबारकपुर, बहरीपुर तथा नवाबगंज गांव का बीस परिवार लगभग चार दशक से मणिपुर, इम्फाल, मोरे आदि स्थानों पर रहकर मोटर पा‌र्ट्स, कबाड़ का कारोबार करते हैं। लोगों ने जमीन खरीद कर घर-दुकान बनवा लिया। शादी-विवाह कर पूरा परिवार बसा लिया। जो स्थानीय उपद्रवियों की आंख की किरकिरी बन गए। उपद्रवी पिछले दो महीने से उत्तर भारतीयों को निकालने के लिए खूब नग्न तांडव कर रहे हैं। तोड़फोड़, आगजनी, मारपीट, लूटपाट कर लोगों का दिल दहला दिया। वहां पर रहने वाले उत्तर भारतीय बताते हैं कि मणिपुर के उप्रदवियों के कारण अस्सी फीसद लोग घर-बार छोड़कर भाग निकले। बचे हुए लोगों में भय इस कदर व्याप्त है कि लोगों का घर से निकलना दूभर हो गया है।

मणिपुर इम्पाल में रहने वाले कई परिवार ने'दैनिक जागरण'संवाददाता को फोन पर बातचीत में बताया कि विधानसभा में जो बिल पास हुआ है उसमें कहा गया है कि 1951 के बाद मणिपुर में आए लोग न तो जमीन खरीद-फरोख्त कर सकते हैं और न ही परिवार रख सकते हैं। दूसरा यह कि यदि मणिपुर में आना-जाना है तो उनके लिए इनरलाइन परमिट लेना जरूरी है जो उन्हें प्रत्येक वर्ष रिन्युवल कराना होगा। ऐसे में वहां रह रहे लोगों के सामने काफी दिक्कत महसूस हो रही है। हालात शांत होते ही उत्तर भारतीय मणिपुर से पलायन करने के लिए मजबूर होंगे।

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मणिपुर से लौटने वाले परिवार को ग्राम पंचायत, नगर पालिका और जिला प्रशासन द्वारा रहने का इंतजाम किया जाएगा। यदि उनके परिवार-रिश्तेदार ने शरण दी तो ठीक है वरना हर संभव मदद की जाएगी। जरूरत पड़ने पर तंबू कनात का सहारा लिया जा सकता है। -राकेश गुप्त, एसडीएम शाहगंज


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