कुपोषण से कुम्हला रहे 'लाल'
अंकुर शुक्ला जौनपुर : हर जुबां से एक ही आवाज निकलती है कि बच्चे ही देश के भविष्य है। इन्हीं कर्णधा
अंकुर शुक्ला
जौनपुर : हर जुबां से एक ही आवाज निकलती है कि बच्चे ही देश के भविष्य है। इन्हीं कर्णधारों की बदौलत देश का विकास संभव है, ¨कतु हकीकत यह है कि देश के 'लाल' कुम्हला जा रहे है। अब सवाल उठता है कि जब पौध के समय यह हाल है तो पेड़ बनने पर क्या होगा। जानकारों की माने तो इसके पीछे एक ही कारण उभरकर सामने आ रहा है, वह है परिवार की मजबूरी और गरीबी। यह अलग बात है कि इसे सरकार मानने को तैयार नहीं, लेकिन कड़वी सच्चाई यही है। शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय फलक पर काबिज जनपद में एक लाख से ज्यादा कुपोषित और पांच हजार से ज्यादा नौनिहाल अति कुपोषण के शिकार हो चुके है। यह सच्चाई राज्य पोषण मिशन के तहत अनवरत अभियान में किए जा रहे सर्वे रिपोर्ट के बाद सामने आया है।
किस ब्लाक में कितने कुपोषित बच्चे
केराकत- 5463, डोभी-5261, सिकरारा-3838, मछलीशहर- 2775, जलालपुर-5546, धर्मापुर-2774, सुइथाकला-6936, मुफ्तीगंज-5235, रामपुर-1519, मुंगराबादशाहपुर-10756, महराजगंज-4574, बरसठी-6562, बदलापुर-6773, बक्शा-7123, करंजाकला-4124, खुटहन-4330, मड़ियाहूं-2464, रामनगर-3883, शाहगंज-3289, सुजानगंज-2538, सिरकोनी-5750, जौनपुर नगर-6278
4988 नौनिहालों में आया सुधार
राज्य पोषण मिशन के तहत चलाए गए अभियान के बाद आए चौकाने वाले आंकड़ों को लेकर शासन प्रशासन काफी गंभीर है। जिसका नतीजा यह हुआ कि 4 हजार 988 नौनिहालों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। जिसमें केराकत-17, डोभी-26, सिकरारा-23, मछलीशहर-31, जलालपुर-220, धर्मापुर-622, सुइथाकला-63, मुफ्तीगंज-936, रामपुर-127, मुंगराबादशाहपुर-256, महराजगंज-395, बरसठी-176, बदलापुर-177, बक्शा-228
करंजाकला-380, खुटहन-125, मड़ियाहूं- 186, रामनगर-374, शाहगंज-347, सुजानगंज-110, सिरकोनी-79, जौनपुर नगर-90 बच्चे शामिल है।
जुलाई माह में आए चौंकाने वाले आंकड़े
राज्य पोषण मिशन के तहत जुलाई माह में विशेष ¨चहीकरण अभियान चलाया गया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जुलाई माह में चले अभियान में 4 हजार 510 अति कुपोषित बच्चे चि¨हत किए गए, जबकि इसके पहले यह संख्या 1 हजार 56 पर ही थी।
76 गांवों को अफसरों ने लिया है गोदराज्य पोषण मिशन के तहत जिलाधिकारी सहित 38 जिला स्तरीय अधिकारियों ने दो-दो गांव गोद लिया है। इन गांवों में प्राथमिकता के आधार पर काम किया जा रहा है, जबकि अन्य गांवों को संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एएनएम के भरोसे छोड़ा गया है। जिसकी उच्चाधिकारी समय-समय पर मानीट¨रग करने के लिए जा रहे है।