साल भर बंद रहेंगे ईट भट्ठे
जौनपुर: वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति जरूरी किए जाने और संचालन की सख्त नीतियों के विरोध में
जौनपुर: वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति जरूरी किए जाने और संचालन की सख्त नीतियों के विरोध में ईट भट्ठे अगले एक साल बंद रहेंगे। अखिल भारतीय ईट निर्माता महासंघ ने इसका रविवार को एलान किया है।
ईंट निर्माता समिति के जिला महामंत्री अनिल कुमार ¨सह ने बताया कि 30 जून को दिल्ली में लिए गए निर्णय के अनुसार पर्यावरणीय अनापत्ति के विरोध में समस्त भारत वर्ष के ईट भट्ठे अगले सीजन में नहीं चलाए जाएंगे। राष्ट्रव्यापी हड़ताल को उप्र ईट निर्माता समिति का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि हड़ताल के चलते ईट भट्ठा मालिक न तो कोयला गिराएंगे और न ही श्रमिकों को अग्रिम देंगे। ज्ञातव्य है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने वर्ष 2012 में ही मिट्टी खनन के लिए स्वच्छता प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य कर दिया था। इसके विरोध में ईट भट्ठा मालिकों ने आंदोलन छेड़ दिया। फलस्वरूप राज्य सरकार ने खनन अधिनियम में 35 वां संशोधन कर ईट भट्ठा मालिकों को राहत प्रदान की। तथा ईट भट्ठे की मिट्टी खनन को अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता समाप्त कर दी।
राज्य सरकार के संशोधन को एनजीटी (राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण) ने नहीं माना। भट्ठे वालों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय से भी कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हो सका और स्वच्छता प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता पुन: लागू हो गई है। महामंत्री ने बताया कि हम स्वच्छता प्रमाण पत्र के विरुद्ध नहीं हैं, परंतु कुछ स्वार्थी तत्वों के दबाव में यह हम पर थोपा जा रहा है। इस कानून को जब तक हटाया अथवा सरलीकरण नहीं किया जाएगा हमारा आंदोलन जारी रहेगा।