लोटन यात्रा पर गिरि महाराज
बदलापुर (जौनपुर) : इसे हठ योग की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या कहेंगे कि 12 वर्षों से लेटकर तीर्थों की य
बदलापुर (जौनपुर) : इसे हठ योग की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या कहेंगे कि 12 वर्षों से लेटकर तीर्थों की यात्रा गणेश गिरि महाराज कर रहे हैं। जहां राजस्थान से काशी विश्वनाथ दर्शन करने जाते हुए शुक्रवार को बदलापुर कस्बे में पहुंचने पर उनके दर्शन हेतु जहां भीड़ उमड़ पड़ी वहीं उनके इस अनंत आस्था को देख लोग दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो गए।
राजस्थान प्रांत के उदयपुर जनपद के जूना अखाड़ा के संत श्री श्री 1008 गणेश गिरि महाराज ने सबसे पहले 12 वर्ष तक खड़े होकर तपस्या किया। तत्पश्चात सात वर्ष तक अपने दोनों हाथ बांधकर रखा। जहां प्रतिज्ञा किया कि सवा लाख कुंवारी कन्याओं को भोजन कराऊंगा। जहां हाथ खोलने के बाद 90 हजार कन्याओं को भोजन कराया। अभी 35 हजार कन्याओं को भोजन कराना बाकी है। अंत में तीन अगस्त 2003 को प्रतिज्ञा किया कि 12 वर्ष तक लेटकर तीर्थों की यात्रा करूंगा।
उसी दिन से लेटकर यात्रा पर निकल पड़े। जहां राजस्थान से द्वारिकापुरी, हरिद्वार, ओकालेश्वर आदि की यात्रा पूर्ण करने के बाद अंतिम यात्रा काशी विश्वनाथ के लिए चल पड़े हैं। बदलापुर कस्बे में पहुंचने पर उनके हठ योग व आस्था को देखने हेतु जगह-जगह लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। उनके साथ चल रहे संतों ने बताया कि श्री महाराज 10 से 15 किमी यात्रा प्रतिदिन करते हैं। जहां शाम को पहुंचते हैं वहीं फलाहार कर आराम करते हैं।
प्रात: होते ही निश्चित स्थल से यात्रा प्रारम्भ कर देते हैं। उनके इस लेटकर यात्रा करने की पूरे दिन चर्चा होती रही।